नई दिल्ली: देश में दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) टीबी के करीब 75000 रोगियों के लिए खुशखबरी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नए उपचार बीपीएएलएम रेजिमेन को शुरू करने की मंजूरी दी है जिससे मरीजों को 20 माह के ईलाज के बजाय छह माह में ही बीमारी से निजात मिल सकती है। इसकी सफलता दर भी ज्यादा है और ईलाज का खर्च भी कम है।
एमडीआर टीबी के नये उपचार को मंजूरी
बीपीएएलएम रेजिमेन में बेडाक्विलाइन और लाइनजोलिड (मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ/बिना) के संयोजन में प्रीटोमैनिड नामक एक नई एंटी-टीबी दवा शामिल है। प्रीटोमैनिड को पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की ओर से भारत में उपयोग के लिए अनुमोदित और लाइसेंस दिया जा चुका है।
75,000 मरीजों को मिलेगा लाभ
इस दवा का फायदा देश के 75,000 दवा प्रतिरोधी टीबी रोगी उठा सकेंगे। अब उनके इलाज में समय के साथ पैसों की भी बचत होगी। BPaLM में बेडाक्विलिन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन नामक चार दवायां शामिल है। ये दवा पिछली एमडीआर-टीबी इलाज प्रक्रिया की तुलना में सुरक्षित, अधिक प्रभावी और तेज असर है।
MDR-TB क्या है?
MDR-TB इसको टीबी का एक प्रकार माना जाता है। इसमें बैक्टीरिया, आइसोनियाज़िड और रिफ़ैम्पिसिन जैसी दो सबसे शक्तिशाली एंटी-टीबी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी रहती है। एमडीआर-टीबी से पीड़ित मरीजों का इलाज करना आसान नहीं होता है। पीड़ितों के शरीर में इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हो जाती है। इसके इलाज के विकल्प सीमित होते हैं। ऐसे में पीड़ित परिवार को ज्यादा खर्चा उठाना पड़ता है।