नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के अमेरिका दौरे के दौरान बीते 13 फरवरी को वॉशिंगटन डीसी में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार में ‘निष्पक्षता और पारस्परिकता’ लागू करने की योजना का ऐलान किया. इसके साथ ही उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) का ऐलान भी किया. मतलब हर देश पर उतना ही टैरिफ लगाया जाएगा, जितना वो देश अमेरिका पर लगाता है. इसके बाद से तमाम देशों की चिंता बढ़ गई. अब इस Trump Tariff को लेकर मोदी सरकार (Modi Govt) का बयान आया है और वित्त मंत्री ने इसे लेकर अपनी तैयारी के बारे में बताया है. आइए जानते हैं इस पारस्परिक टैरिफ पर Nirmala Sitharaman का क्या कहना है?
टैरिफ को लेकर सरकार की तैयारी
Donald Trump ने रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया, तो इसे लेकर दुनिया के तमाम देशों की चिंता बढ़ गई, भारत भी इनमें शामिल है. ट्रंप के मुताबिक, भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने और दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच टैरिफ संरचनाओं में समानता लाने के लिए ये ऐलान किया गया है. लेकिन तमाम देशों के लिए ये नया सिरदर्द बना हुआ है. हालांकि, भारत की अगर बात करें, तो मोदी सरकार ट्रंप के इस ऐलान के बाद उपयुक्त कदम उठाने के लिए तैयार नजर आ रही है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लेकर सोमवार को तस्वीर साफ की है.
FM Nirmala Sitharaman ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि रेसिप्रोकल टैरिफ के संबंध में हम कई सुधारात्मक कदम उठा रहे हैं. इनमें हम एंटी डंपिंग शुल्क के साथ ही सीमा शुल्क में सुधार (Custom Duty Reforms) के जरिए ये सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत को हर लिहाज से निवेश के अनुकूल बनाया जाए. वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने टैरिफ को तर्कसंगत बनाकर पहले ही कई उपाय किए हैं और डंपिंग रोधी शुल्कों की समय-समय पर समीक्षा की जाती है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर अमेरिकी आयातों पर भारत में पहले से ही सबसे कम टैरिफ दरें लागू हैं और जिन कुछ पर अधिक टैरिफ दरें हैं, उन पर बातचीत की जाएगी.
पिछले हफ्ते भारत सरकार ने बर्बन व्हिस्की पर आयात शुल्क 150% से घटाकर 100% कर दिया. साथ ही कई तरह की वाइन पर भी टैक्स घटा दिया गया है. ताजे अंगूरों से बनी वाइन, वर्माउथ और कुछ दूसरे फरमेंटेड बेवरेजेज पर भी अब इम्पोर्ट ड्यूटी घटाकर 100% कर दी गई है. जबकि इससे पहले बजट में टेक्सटाइल, टेक्नोलॉजी और केमिकल पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाने का ऐलान किया गया था.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अगर अमेरिका हाई टैरिफ लागू भी करता है, तो भारत अपनी सक्रिय व्यापार नीतियों, निर्यात विविधीकरण और आपूर्ति शृंखला को नया रूप देकर इसके प्रभाव को कम कर सकता है, जिससे लॉन्ग टर्म में निर्यात बढ़ने की भी उम्मीद है.
रेसिप्रोकल टैरिफ आखिर है क्या?
यहां ये समझ लेना बेहद जरूरी है कि आकिर ये Reciprocal Tariff है क्या? इसे आसान भाषा में समझें तो इसका अर्थ ‘पारस्परिक शुल्क’ है. उदाहरण के तौर पर अगर भारत अमेरिका से होने वाले किसी आयात पर 25% शुल्क लगाता है, तो फिर अमेरिका भी भारत से उस चीज के आयात पर 25% शुल्क लगाएगा. फिलहाल देखें, तो अमेरिका को भारत के निर्यात पर भारत का औसत प्रभावी टैरिफ करीब 9.5% है, जबकि अमेरिका को भारत के निर्यात पर टैरिफ रेट 3% है.
इस मुद्दे पर साफ किया सरकार का रुख
सोमवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान निर्मला सीतारमण ने इंडस्ट्रीज एंड टैक्स प्रोफेशनल्स के साथ मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर सरकार का रुख साफ किया. रेसिप्रोकल टैरिफ के साथ ही उन्होंने Petrol-Diesel को जीएसटी के दायरे में लाने समेत अन्य मुद्दों पर बातचीत की. पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि हमने पहले ही इसका प्रावधान कर दिया है, लेकिन इसे लेकर आखिरी निर्णय राज्यों को लेना है. इसके बाद ही GST Counsil फैसला लेगा.
महंगाई-महाराष्ट्र और सहकारी बैंक
जब वित्त मंत्री से पूछा गया कि महाराष्ट्र द्वारा हाई टैक्स दिए जाने के बावजूद राज्य को कुछ नहीं मिल रहा है? तो इस सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि Maharashtra के लिए वधावन बंदरगाह मोदी सरकार ने बनवाया. रक्षा उपकरण का प्रोडक्शन भी एक बड़ा सेक्टर है, जिससे राज्य को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने कहा कि हम कभी नहीं भूलते कि महाराष्ट्र इन्वेस्टमेंट और बिजनेस के लिए बेहद अनुकूल राज्य है.
महंगाई दर को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि Inflationएक सीमा के भीतर रही है और इसमें कमी आई है. सरकार महंगाई की नियमित निगरानी भी करती है और यही बड़ा कारण है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 साल बाद ब्याज दर में कटौती (Repo Rate Cut) का ऐलान किया है. इसके अलावा सहकारी बैंकों की स्थिति को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए इस कार्यक्रम में मौजूद वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे ने दो टूक कहा कि Cooperative Banks ठीक हैं और सिर्फ एक बैंक के दिवालिया हो जाने से इस क्षेत्र के बारे में राय नहीं बननी चाहिए. यह एक अच्छी तरह से रेग्युलेटेड सेक्टर है.