नई दिल्ली। रूस ने भारी उम्मीद लगा रखी थी, कि भारत एक ना एक दिन उसके फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट SU-57, जिसे महाशक्तिशाली माना जाता है, उसे खरीदने के लिए जरूर हामी भरेगा और उसे अरबों डॉलर का भारतीय डिफेंस डील हासिल होगा।लेकिन, मोदी सरकार ने AMCA (एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) प्रोग्राम को मंजूरी देकर व्लादिमीर पुतिन के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। दरअलस, सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने AMCA डिजाइन को मंजूरी दे दी है और इस प्रोग्राम के लिए 1.8 अरब डॉलर का भारी-भरकम बजट भी जारी किया है।
और भारत सरकार के इस फैसले ने रूस को अंदर तक हिला दिया है, क्योंकि रूस से लगातार भारत के पास एसयू-57 फाइटर जेट को लेकर लुभावने ऑफर आ रहे थे। रूस इसलिए भी आश्वस्त था, क्योंकि भारत के दो दुश्मन, चीन और पाकिस्तान पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को लेकर काफी आगे निकल चुका है। चीन के पास दो तरह के पांचवीं पीढ़ी के विमान हैं, जबकि पाकिस्तान ने चीन से पांचवी पीढ़ी के विमान खरीदने को लेकर सौदा कर लिया है।
रूस दे रहा था भारत को ऑफर
पिछले कई महीनों से रूस उम्मीद कर रहा था, कि भारत, अमेरिका के F-35 फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट की जगह उसके अत्याधुनिक Su-57 फाइटर जेट को भारतीय वायसेना के बेड़े में शामिल करने के लिए चुन सकता है, ताकि इंडियन एयरफोर्स के पास चीन के J-20 माइटी ड्रैगन फाइटर जेट का जवाब हो।
भारत और रूस ने साल 2007 में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (FGFA) को विकसित करने के लिए हाथ मिलाया था और एक समझौते पर दस्तखत भी किए थे और उस समझौते के तहत, यह परिकल्पना की गई थी, कि भारतीय एयरोस्पेस निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) रूसी सुखोई डिजाइन ब्यूरो के साथ सहयोग करेगा और Su-57 स्टील्थ फाइटर का एक एडवांस वेरिएंट विकसित करेगा।
लेकिन, बाद में इस प्रोजेक्ट से भारत अलग हो गया।
भारत सरकार ने साल 2018 में, रूस के साथ 8.63 अरब डॉलर के इस फाइटर जेट के समझौते को रोक दिया। जिसके बाद रूस ने अकेले ही इस विशालकाय परियोजना पर कदम आगे बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन, बाद में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावे किए गये, कि भारत, SU-57 के अगले चरण में या तो शामिल हो सकता है या फिर रूसी वायुसेना में शामिल होने के बाद पूरी तरह से विकसित SU-57 फाइटर जेट को खरीद सकता है।