नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-22 दिसंबर 2024 को कुवैत का दौरा करेंगे। पीएम मोदी कुवैत के अमीर शेख मशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबा के निमंत्रण पर इस मुस्लिम देश की यात्रा पर जा रहे हैं। यह 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा होगी। इस ऐतिहासिक दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी कुवैत के नेतृत्व से विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी कुवैत की सरकार और उसके नेताओं के साथ सहयोग, व्यापार, और अन्य मुद्दों पर बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी कुवैत में भारतीय समुदाय के साथ भी संवाद करेंगे। भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है। भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1981 में कुवैत का दौरा किया था, जबकि तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 2009 में देश की यात्रा की थी। दोनों पक्षों की ओर से अंतिम उच्च स्तरीय यात्रा 2013 में कुवैती प्रधानमंत्री की भारत यात्रा थी। मोदी और कुवैत के युवराज की सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान मुलाकात हुई थी।
प्रधानमंत्री का यह दौरा भारत और कुवैत के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के उद्देश्य से है, विशेष रूप से व्यापार, ऊर्जा, और श्रम संबंधी मुद्दों पर। भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और 2023-24 के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 10.47 बिलियन डॉलर का था। भारतीय निर्यात 2022-23 में 1.56 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 2.1 बिलियन डॉलर हो गया है, जिसमें साल-दर-साल 34.7% की वृद्धि हुई है।
कुवैत में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक कार्यरत हैं, और इस दौरे के दौरान उनके कल्याण के लिए भी कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। यह दौरा दोनों देशों के संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि कुवैत भारत का एक प्रमुख ऊर्जा साझेदार है और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और मित्रवत संबंध रहे हैं।
कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की ऊर्जा जरूरतों का 3% पूरा करता है, जबकि भारत में कुवैत निवेश प्राधिकरण द्वारा किया गया निवेश $10 बिलियन से ज्यादा है। भारतीय कुवैत के सबसे बड़े प्रवासी समुदाय हैं, जिनकी संख्या लगभग दस लाख है और चुनौतीपूर्ण समय में दोनों पक्षों को आपसी सहयोग से फायदा मिला है। 1961 तक कुवैत में भारतीय रुपया वैध मुद्रा थी, जो स्थायी आर्थिक संबंधों का प्रतीक है।