Tuesday, May 20, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home राज्य

’मुक्ति’ के लिए तरस रही हैं मोक्षदायिनी गंगा

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
12/01/23
in राज्य, समाचार
’मुक्ति’ के लिए तरस रही हैं मोक्षदायिनी गंगा
Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

प्रयागराज। कैवल्य धाम के पीठाधीश्वर और टीकरमाफी आश्रम के प्रमुख स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी का कहना है कि मोक्षदायिनी गंगा आज स्वयं की मुक्ति मांग रही है। गंगा को स्वयं गंगाजल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस पवित्र नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए टिहरी बांध से कम से कम दस हजार क्यूसिक पानी गंगा में छोडऩा ही होगा।

तीर्थराज प्रयाग में प्रत्येक वर्ष जैसे ही माघ मेला अथवा कुंभ मेले की शुरुआत होती है, गंगा के प्रदूषण को लेकर साधु-संतों और श्रद्धालुओं के बीच तरह-तरह की चर्चाएं प्रारम्भ हो जाती हैं। प्रशासनिक अमला भी स्नानार्थियों को स्वच्छ गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए सक्रिय हो जाता है। हाई कोर्ट से भी बीच-बीच में निर्देश आने लगते हैं और मेला पर्यंत गंगाजल की स्वच्छता की जांच होने लगती है।

गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी पिछले करीब तीन दशक से संघर्षरत हैं। इसके लिए जनजागरुकता से लेकर अदालत की चौखट तक उनका प्रयास जारी रहता है। हाई कोर्ट में उन्होंने पीआईएल भी दायर कर रखा है। माघ मेले में काली सडक़ की उत्तरी पटरी पर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी का शिविर लगा है। दिन में अधिक समय तक कल्पवासियों और श्रद्धालुओं का जमघट उनके पास रहता है और विभिन्न धार्मिक मुद्दों पर उनसे चर्चाएं होती रहती हैं। इस दौरान गंगा के प्रदूषण का विषय आते ही वह कुछ ज्यादा ही चिंतित हो उठते हैं। स्वामी जी कहते हैं कि जो मोक्षदायिनी है, वह आज स्वयं की ही मुक्ति के लिए तरस रही है।

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी एकाएक सहमते हैं और कहते हैं कि कोरोना काल ही बेहतर था। उस समय गंगा मइया एकदम स्वच्छ हो गई थीं, अविरल प्रवाह था, गंगा-यमुना का संगम स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा था, लेकिन जैसे ही लाकडाउन खत्म हुआ टेनरियां फिर चलने लगीं, नालों में प्रदूषण का अंश बढऩे लगा और मां गंगा पुन: मलीन हो गईं।

एक श्रद्धालु के सवाल पर स्वामी जी ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना शुरू होने से लोगों में जागरुकता अवश्य आई है। सरकारी मशीनरी भी सक्रिय हुई है, लेकिन केवल परियाजनाओं से ही गंगा निर्मल नहीं होंगी। वह कहते हैं, जब गंगा में गंगाजल ही नहीं होगा तो उनमें स्थाई अविरलता कैसे आएगी? उन्होंने कहा कि गंगोत्री से निकलने के बाद प्रयागराज तक पहुंचने से पहले ही गंगा को कई जगह बांध बनाकर बंधक बना लिया गया है। उत्तराखंड में ही आधे दर्जन से अधिक बांध और बैराज बनाकर गंगा के प्रवाह को रोक लिया गया है।

अपने तर्क को बल देने के लिए वैदिक शास्त्रों के कुछ उद्धरण प्रस्तुत करते हुए स्वामी जी आगे कहते हैं कि गंगा में स्वयं गंदगी साफ करने की अद्भुत क्षमता है। आज के वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो हानिकारक जीवाणुओं एवं अन्य सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं।

वह जोर देकर कहते हैं कि यदि टिहरी बांध से दस हजार क्यूसिक पानी गंगा में छोड़ दिया जाये तो यह पवित्र नदी अपनी अविरलता को स्वत: प्राप्त हो जाएगी। उनका यह भी सुझाव है कि गंगा में जो गंदे नाले और टेनरियों का प्रदूषित जल प्रवाहित होता है, उसे शोधित करके उसका उपयोग सिंचाई के काम में लिया जा सकता है। यह पानी सिंचाई कार्य में काफी फायदेमंद साबित होगा। स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी कहते हैं कि गंगा का प्रवाह क्षेत्र उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में है। केंद्र सरकार यदि सभी संबंधित राज्यों के साथ समन्वय बनाकर नियमित इस दिशा में कार्य करे तो गंगा को निर्मल बनाने का कार्य काफी आसान हो जाएगा।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.