गुजरात में मोरबी केबल ब्रिज हादसे की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया हे कि जांच कर रहे अधिकारियों ने पुल पर काम कर रहे ठेकदार की कमी को उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ऐसा लगता है कि ठेकेदार ने 26 अक्टूबर को पुल को जनता के लिए फिर से खोलने से पहले सभी केबलों को केवल पेंट और पॉलिश किया था और पुरानी केबलों को बदला नहीं गया था।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमें अब तक ऐसा कुछ भी नहीं मिला कि उन खराब हो चुके केबलों में से किसी को भी बदला गया हो। हम अब इस पहलू पर विस्तार से पड़ताल कर रहे हैं। बता दें कि केबल ब्रिज टूटने की जो वजहें सामने आ रही हैं, उसमें सबसे ज्यादा जिम्मेदार उसका रेनोवेशन व देख-रेख करने वाली कंपनी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि रेनोवेशन से पहले कंपनी ने 143 साल पुराने पुल का ढ़ग से मुआयना नहीं किया था। इसके अलावा मरम्मत के दौरान लकड़ी के बजाए एल्युमिनियम की सामग्री का उपयोग किया जिससे पुल का वजन बढ़ गया। इन प्रारंभिक तकनीकी टिप्पणियों के अलावा जिस समूह को पुल के नवीनीकरण का ठेका दिया गया था अधिकारियों ने उसके निष्पादित कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाया गया है।
सूत्रों ने कहा कि ठेकेदार को मरम्मत का काम पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया था, लेकिन दिवाली और गुजराती नव वर्ष के अवसर पर त्योहारों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए इसे फिर से शुरू कर दिया गया था। एक अधिकारी ने कहा कि हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या टूटे ढांचे के बढ़ते वजन और बड़ी संख्या में लोगों की वजह से केबलों पर तनाव पैदा हुआ था? प्राथमिक निरीक्षण के आधार पर तकनीकी टीम ने पाया कि उस क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले किसी व्यक्ति द्वारा पुल का मूल्यांकन नहीं किया गया था। अधिकारी ने कहा कि यह काम स्पष्ट रूप से स्थानीय विक्रेताओं और उप-ठेकेदारों द्वारा बिना किसी विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के निष्पादित किया गया था।