प्रयागराज: प्रयागराज के आलोक और ज्योति मौर्य का मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है. मामले के सामने आने के बाद कई पतियों ने बाहर पढ़ाई कर रही बीवियों को वापस बुला लिया है और उन्हें आगे पढ़ने से रोक दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अकेले खान सर की कोचिंग से 93 पतियों ने अपनी पत्नियों के नाम कटाए हैं. इस विवाद के बाद ऐसे और भी कई मामले निकल कर सामने आ रहे हैं, जिनमें पतियों ने कर्ज लेकर पत्नी को पढ़ाया, लेकिन नौकरी मिलने के बाद पत्नी ने साथ रहने से मना कर दिया.
पहला मामला है यूपी के ही कानपुर देहात से. यहां के रवींद्र पुरम गांव के निवासी अर्जुन की शादी सविता मौर्य से हुई थी. सविता पढ़ाई में अच्छी थीं, इसलिए अर्जुन ने उन्हें आगे पढ़ाने का फैसला किया. उन्होंने सविता का दाखिला नर्सिंग कॉलेज में करा दिया और मजदूरी कर फीस के लिए पैसे इकट्ठे किए.
नौकरी के बाद बदला व्यवहार
ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सविता की नौकरी भी लग गई. लगने नौकरी लगते ही अर्जुन ने सविता के व्यवहार में बदलाव देखा. इसलिए उन्हें वापस बुला लिया और नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में नौकरी लगवाई. लेकिन सविता, अर्जुन से दूरी बनाने लगीं और कहने लगीं कि, ‘तुम काले हो, हमारा स्टेटस मेल नहीं करता है.’ विवाद शुरू होने पर अर्जुन ने न्याय की गुहार लगाई है.
झारखंड से है दूसरा मामला
झारखंड के साहिबगंज जिले से भी ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांझी बजार के रहने वाले कन्हाई लाल ने 2009 में कल्पना कुमारी से शादी की थी. दोनों का दस साल का बेटा भी है. कल्पना पढ़ना चाहती थीं. उनकी पढ़ाने के लिए कन्हाई ने मजदूरी कर पैसे इकट्ठे किए और कॉलेज में उनका दाखिला कराया. कन्हाई ने कर्ज लेकर फीस और कॉपी किताब का खर्चा उठाया.
लापता है पत्नी
पढ़ाई के बाद कल्पना की बतौर नर्स नौकरी लग गई. लेकिन बीते अप्रैल माह में वह बेटे के साथ घर से निकल गईं, तो अभी तक वापस नहीं आई हैं. कन्हाई ने अब अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है. पुलिस इस मामले में छानबीन में जुटी है.