हल्द्वानी। हल्द्वानी के वनभूलपुरा में हिंसा के दिन कई इलाकों में पुरुषों के साथ कई महिलाएं भी पुलिस-प्रशासन की टीम पर पत्थर बरसा रहीं थीं। पुलिस के पास मौजूद सीसीटीवी के कई फुटेज और वीडियो में महिलाएं पथराव करतीं और हिंसा के लिए उकसाती दिखाई दे रहीं हैं।
पुलिस ने महिलाओं को लगातार चिह्नित कर रही है। अब तक मामले में पुलिस 5 महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। जबकि 50 से ज्यादा महिलाएं पुलिस की राडार पर आ गईं हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सीसीटीवी और वीडीओ फुटेज में इन महिलाओं को चिह्नित किया जा रहा है।
इसके बाद पहचान होने पर आरोपी महिलाओं को गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस हल्द्वानी के वनभूलपुरा में बीते आठ फरवरी को हुई हिंसा में शामिल लोगों को चिह्नित कर रही है। इसमें सर्विलांस के साथ ही कई टीमें काम कर रहीं हैं। हिंसा के दिन की अलग-अलग लोगों से जुटाई गई वीडियो फुटेज देखी जा रही है।
इसमें कई महिलाएं भी दिख रही हैं। बीते दिनों पुलिस ने चिह्नित की गई कई महिलाओं को अस्थाई जेल में ले जाकर पूछताछ की थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पुलिस के पास मौजूद वीडियो फुटेज के आधार पर मामले में कई और महिलाएं भी चिह्नित हुई हैं।
फिलहाल उनकी संलिप्तता की जांच की जा रही है। पुख्ता सबूत भी जुटाए जा रहे हैं। एसएसपी पीएन मीणा ने बताया कि हिंसा भड़काने वाला चाहें पुरुष हो या महिला, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
10 धाराओं में दर्ज केस में महिलाओं के नाम जोड़े
हल्द्वानी के वनभूलपुरा हिंसा प्रकरण में शुक्रवार को गिरफ्तार मां-बेटी सहित पांच महिलाओं के नाम पुलिस ने नगर निगम की ओर से दर्ज कराए मुकदमे में शामिल किए हैं। यह मुकदमा बलवा, सरकारी कर्मियों से मारपीट, जानलेवा हमला सहित आईपीसी की 10 धाराओं में दर्ज है।
वहीं महिलाओं पर आरोप है कि सरकारी जमीन पर कब्जा कर किए गए अवैध निर्माण को तोड़ने पहुंची नगर निगम की टीम पर लोगों ने पथराव किया, घातक चीजों से हमला किया और हत्या का भी प्रयास किया गया।
सरकारी कर्मियों को डराने, धमकाने से लेकर सरकारी कार्य में बाधा डालकर बलवा कराया गया। पुलिस ने मामले में सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 149, 307, 332, 353, 435, 427, 120बी और 3/4 लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
इसमें महिलाओं के नाम भी शामिल हैं। कानून के जानकारों के मुताबिक, इस मुकदमे में लगाई गई धाराओं में दोषसिद्ध होने पर छह माह से 10 साल तक की सजा भी हो सकती है।
महिलाओं को हिरासत में न रखा जाए
हल्द्वानी के वनभूलपुरा हिंसा की जांच के लिए महिलाओं को बिना मुकदमे के हिरासत में नहीं रखने की मांग की गई है। उत्तराखंड महिला मंच ने शुक्रवार को जिलाधिकारी को भेजे ज्ञापन में कहा कि महिलाओं का पूछताछ के लिए बिना मुकदमे के हिरासत में लिया जा रहा है।
इस गैर वैधानिक कार्रवाई से महिलाओं का उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। इस पर रोक लगा सामाजिक शांति बहाल किए जाने की मांग की गई। इस दौरान प्रो. उमा भट्ट, बसंती पाठक मौजूद रहीं।
आईपीसी की ये धाराएं गंभीर
धारा- सजा
307- 10 साल से आजीवन कारावास तक
435- सात साल तक की सजा व जुर्माना या दोनों
332- तीन साल तक की सजा व जुर्माना या दोनों