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मां की गोद है हिंदी, पिता का प्यार है हिंदी

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिका इकाई की ओर से संपन्न हुआ ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय बाल कवि सम्मेलन. भारत और अमेरिका के 21 बच्चों ने कविताएं सुनाकर जीता सभी का दिल

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
09/05/23
in मुख्य खबर, राष्ट्रीय, साहित्य
मां की गोद है हिंदी, पिता का प्यार है हिंदी
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नई दिल्ली : आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिका इकाई की ओर से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बाल कवि सम्मेलन शानदार रहा। भारत और अमेरिका के बच्चों ने स्वरचित कविताएं सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। कई बच्चों ने राष्ट्र कवि सोहनलाल द्विवेदी समेत कई स्वनामधन्य कवियों की कविताएं भी सुनाईं। मुख्य अतिथि प्रख्यात कवयित्री सरिता शर्मा ने सभी बच्चों की हौसला अफजाई की।

ऑनलाइन हुए इस कवि सम्मेलन में भारत और अमेरिका के 21 बाल कवियों ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन एवं अमेरिका में रह रहीं तृषा वर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई सरस्वती वंदना से हुई। सबसे पहले नोएडा की वैभवी सिंह ने अपनी स्वरचित कविता- भारत में रचा हुआ रंगों का संसार यहां, मेरा भारत हर पल रचता उन्नति का त्यौहार यहां, सुनाई। पूजा यादव ने पढ़ा-मैं खुद से ज्यादा अपने वतन से प्यार करती हूं। शिकागो की अयाति ओझा ने राजेंद्र वर्मा द्वारा रचित खनक उठी तलवार बहुत ही ओजपूर्ण ढंग से प्रस्तुत की।

कैलिफोर्निया की तान्या ने अपनी कविता-जिंदगी यूं ही रंग बदलती रहेगी, आज का बनाया कल खो जाएगा, आगे बढ़ते जाना विघ्नों से न घबराना- सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। बीकानेर की कुनिका कौशिक ने पढ़ा-मेरे सपनों के भारत में कोई नहीं भूखा होगा, बापू ने जो सपना देखा उसका रखेंगे सब मान। राजस्थान के अर्चित सिंहवी ने पानी बचाने का संदेश देने वाली कविता-पानी को बचाना है, पृथ्वी को स्वस्थ बनाना है, पानी का सदुपयोग करो, धरती को स्वच्छ करो-सुनाकर सभी का दिल जीत लिया।

श्रवण मिश्र ‘अज्ञात’ ने अपना परिचय रायबरेली के पहचान गीत से दिया। उनकी माता-पिता को समर्पित कविता-हमारा देश ज्ञान-विज्ञान के उत्थान का पथ है, मगर मां बाप से बढ़कर न कोई मंदिर है न तीरथ है- काफी सराही गई। उन्नाव के रजत द्विवेदी ने भारतीय सेना के युद्ध कौशल को दर्शाने वाली कविता सुनाई। उन्नाव की ही छात्रा ओजस्वी यादव ने हिंदी की महिमा इस तरह गाई-सरलता है सहजता है सहज संस्कार है हिंदी, मां की गोद है हिंदी पिता का प्यार है हिंदी।कैलिफोर्निया की 12 वर्षीय तृषा वर्मा ने अपनी माँ श्रीमती दीप्ती वर्मा द्वारा रचित ‘सैनिक की दोस्त को चिट्ठी सुना कर सबको भावुक कर दिया।

अंतरराष्ट्रीय बाल कवि सम्मेलन में न्यू जर्सी के 8 वर्षीय इशांक और कैलिफोर्निया के अर्जुन और भारत की आर्या तिवारी ने राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी, वैभव त्रिपाठी ने भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेई, हर्षित तिवारी ने कवि विनय महाजन की कविताएं प्रस्तुत कीं। 11 वर्ष के ओम तिवारी ने प्रकृति गीत पर्वत और समुद्र प्रस्तुत किया। लक्ष्मी तिवारी ने पढ़ा-विमल हिंद की विशाल किरणें प्रकाश तेरा बता रही है। लास एंजलिस अमेरिका से जुड़ीं 8 साल की आशना अग्रवाल और स्पेशल नीड किड शुभम ने पियानो बजा कर देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। भारत के नन्हे कथावाचक कृष्णमोहन को इंटरनेट की समस्या की वजह से हम नहीं सुन सके।

अमेरिका इकाई की अध्यक्ष श्रीमती मंजु मिश्रा ने सभी का स्वागत और सदस्य ममता कांडपाल त्रिपाठी ने अमेरिका इकाई के सफर पर विस्तार से प्रकाश डाला। अमेरिका इकाई के वरिष्ठ सदस्य श्रीमती रचना श्रीवास्तव ने संचालन और समिति के संयोजक गौरव अवस्थी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में भारत इकाई के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती शकुंतला बहादुर (अमेरिका), एवं डॅा० जगदीश व्योम (दिल्ली), श्रीमती वत्सला पांडेय (लखनऊ), श्रीमती पुष्पा राजगोपाल (चेन्नई), डॉ नीलम सिंह (रायबरेली), संगीता द्विवेदी (उन्नाव) आदि आनलाइन उपस्थित रहीं।

पिता के आने पर चूल्हे में फेंकनी पड़ी थी कविता : सरिता शर्मा

अंतर्राष्ट्रीय बाल कवि सम्मेलन की मुख्य अतिथि प्रख्यात कवयित्री डॉक्टर सरिता शर्मा ने कविताएं प्रस्तुत करने वाले सभी बच्चों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आज हिंदी और कविता को लेकर स्थिति भी बदली है और माता-पिता की सोच भी। अपना संस्मरण सुनाते हुए उन्होंने बताया कि पिता चाहते थे कि हम पढ़-लिख कर डॉक्टर बने लेकिन हमें बचपन से ही कविता का शौक चढ़ गया था। एक बार पिता के अचानक सामने आ जाने पर उन्हें अपनी लिखी कविता चूल्हे में जलानी पड़ी थी। उन्होंने विदेशों में हिंदी को बचाने और बढ़ाने की हो रही कोशिशों की तारीफ की और कहा कि हिंदी को तरक्की से कोई रोक नहीं सकता।

बच्चों के लिए कविता कार्यशाला होगी
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिका इकाई की अध्यक्ष श्रीमती मंजु मिश्रा ने बच्चों में कविताओं के प्रति प्रेम को देखते हुए मुख्य अतिथि के सामने कविता कार्यशाला का प्रस्ताव रखा। इस पर डॉ शर्मा ने सहज स्वीकृति दे दी। श्रीमती मिश्रा ने बताया कि अगले माह से ऑनलाइन कविता कार्यशाला के आयोजन शुरू किए जाएंगे।

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