नई दिल्ली : 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी अपनी छवि बदलने का प्रयास कर रही है.दरअसल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों को सवर्णों की पार्टी कहा जाता रहा है. इस बीच पिछड़े दशक में बीजेपी ने अपनी पहचान पिछड़ों की पार्टी के रूप में बना ली. अब कांग्रेस भी लगातार पिछड़ों के वोट पाने के लिए प्रयासरत हैं.राहुल गांधी अपनी हर रैली में जाति सर्वे और जाति जनगणना कराने की बात कर रहे हैं. सोमवार को भी राहुल गांधी ने एमपी में भाषण देते हुए कहा कि जाति जनगणना समाज के लिए एक्सरे जैसा है. आइये देखते हैं कि जाति जनगणना का मुद्दा मध्य प्रदेश की राजनीति में कितना असरदार साबित हो रहा है.
मध्य प्रदेश को 53 अफसर चला रहे हैं उसमें केवल एक ओबीसी है
कांग्रेस नेता राहुल गांधी सतना में सोमवार को जाति जनगणना को एक्सरे की तरह बताया था, जिससे देश के विभिन्न समुदायों का पूरा ब्यौरा मिल जाएगा. राहुल ने तंज करते हुए कहा कि मोदी जी पहले अपने भाषणों में खुद को ओबीसी कहते थे, लेकिन जब से मैंने जाति जनगणना की बात शुरू की है, तब से मोदी जी कहते हैं कि देश में कोई जाति नहीं है, सिर्फ गरीब हैं. मतलब देश में सिर्फ एक ही ओबीसी नरेंद्र मोदी हैं. राहुल ने कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार को शिवराज सिंह चौहान और 53 अफसर चलाते हैं. इन 53 अफसरों में से पिछड़े वर्ग का सिर्फ 1 अफसर है. फिर भी सीएम शिवराज और पीएम मोदी कहते हैं कि मध्य प्रदेश में पिछड़ों की सरकार है.
राहुल ने इसी तरह का आरोप महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने के समय लगाया था. उन्होंने कहा था कि देश को चलाने वाले कुल 90 अफसरों में केवल 3 सचिव ओबीसी तबके से हैं, कैसे इस तबके के लोगों को न्याय मिल सकेगा? हालांकि राहुल गांधी के एक्सरे वाले बयान पर जवाब बीजेपी के बजाय इंडिया गठबंधन के राहुल के साथी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने ही मांग कर मुद्दे की हवा निकाल दी है..
अखिलेश ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी तो उसने जाति जनगणना क्यों नहीं कराई? अखिलेश ने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समाज के निचले स्तर के मतदाताओं को लुभाने के लिए देशव्यापी जाति-आधारित सर्वेक्षण की वकालत कर रही है.
ओबीसी को टिकट बांटने में बीजेपी से पिछड़ी कांग्रेस
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 79 सवर्ण कैंडिडेट्स को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने 83 सवर्णों टिकट दिया है. इसी तरह बीजेपी ने 69 प्रत्याशी ओबीसी समुदाय से उतारा है तो कांग्रेस 62 अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को अपनी पार्टी से टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी ओबीसी को टिकट देने में भी कांग्रेस से आगे है. इसी तरह सवर्णों को बीजेपी के मुकाबले अधिक टिकट देकर और ओबीसी को बीजेपी के मुकाबले कम टिकट देकर भी कांग्रेस खुद को ओबीसी समुदाय के हितैषी होने का किस तरह दावा कर रही है? राहुल गांधी लगातार केंद्र और राज्य में ओबीसी अधिकारियों के कम रिप्रजेंटेशन का दावा कर रहे हैं जो किसी भी सरकार या पार्टी के वश में नहीं है.पार्टी में ओबीसी को अधिक टिकट देकर अधिक प्रतिनिधित्व देना राहुल गांधी के वश की बात थी पर यह काम नहीं किया गया. शायद यही कारण है कि द हिंदू की एक रिपोर्ट का कहना है कि मध्यप्रेदश में ग्वालियर चंबल से लेकर भोपाल- होशंगाबाद और महाकौशल आदि में राहुल के इस मुद्दे का कोई जोर नहीं है.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खुद नहीं भरोसा
राहुल गांधी लाख जोर लगा रहे हों कि इन चुनावों में जाति जनगणना मुद्दा बन जाए पर मध्यप्रदेश के जमीनी कार्यकर्ताओं को ही नहीं भरोसा है कि इस मुद्दे का वोटिंग पर असर पड़ने वाला है. द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश कांग्रेस की एक इकाई के नेता ने स्वीकार किया कि इस मुद्दे का आम जनता में कोई प्रभाव नहीं है. जितना पार्टी सोच रही थी उतना तो बिल्कुल भी नहीं.कांग्रेस के इसी शख्स ने हिंदू को बताया कि बिहार में जाति सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद पार्टी की टॉप लीडरशिप ने इस मुद्दे को उठाया पर हमें पता है कि यह चुनावों में मुख्य मुद्दा नहीं बनने वाला है.हम आशा करते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावों तक यह मुद्दा बन जाए. कांग्रेस नेता ने बताया कि जाति जनगणना का मुद्दा राष्ट्रीय मुद्दा है . विधानसभा चुनाव तो पूरी तरह लोकल मुद्दों पर लड़ा जा रहा है.कांग्रेस के इसी नेता ने यह भी कहा कि आप नोटिस करेंगे कि कांग्रेस के नेता जाति जनगणना का जरूर वादा कर रहे हैं पर राहुल गांधी ही सिर्फ डिटेल में इस पर फोकस कर रहे हैं. दरअसल राहुल गांधी इसे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए इसे तैयार कर रहे हैं.
ओबीसी सीएम का मुद्दा
ओबीसी वोटों के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच छिड़ी जंग में ओबीसी सीएम की भी बात हो रही है. कांग्रेस नेता लगातार जनता को यह बता रहे हैं कि वर्तमान में कांग्रेस के तीन सीएम ओबीसी जाति से संबंधित हैं. जबकि बीजेपी की अधिक राज्यों में सरकार होने के बावजूद केवल एक स्टेट का चीफ मिनिस्टर ही ओबीसी है. दूसरी ओर बीजेपी की ओर से यह बार-बार कहा जा रहा है कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी भी ओबीसी और प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी ओबीसी हैं.