नई दिल्ली. बीजेपी के मुकेश दलाल पिछले 12 साल में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं. वह शायद भाजपा के पहले उम्मीदवार हैं जिन्होंने संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल की है. सात चरणों में चल रहे लोकसभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी की पहली जीत है. कांग्रेस ने नीलेश कुंभानी को सूरत लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था. उनकी उम्मीदवारी एक दिन पहले खारिज कर दी गई थी, क्योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी ने प्रथम दृष्टया प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में विसंगतियां पाई थीं.
सूरत सीट पर अन्य सभी उम्मीदवारों ने सोमवार को अपना नामांकन वापस ले लिया, जिस कारण बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध विजेता माना गया. हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में 10 भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे. 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक मुकेश दलाल सहित 35 उम्मीदवार ऐसे रहे हैं जिन्होंने बिना किसी चुनावी लड़ाई के संसदीय चुनाव जीते हैं. समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने 2012 में कन्नौज लोकसभा उपचुनाव निर्विरोध जीता था.
निर्विरोध चुनाव जीतने वालों में कांग्रेसी सबसे ज्यादा
यह सीट उनके पति अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हुई थी. संसदीय चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल करने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में वाईबी चव्हाण, फारूक अब्दुल्ला, हरे कृष्ण महताब, टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद और एससी जमीर शामिल हैं. जो उम्मीदवार बिना किसी मुकाबले के लोकसभा में पहुंचे हैं, उनमें से सबसे ज्यादा कांग्रेस से हैं. सिक्किम और श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्रों में दो बार ऐसे निर्विरोध चुनाव हुए हैं.
जबकि अधिकांश उम्मीदवार सामान्य या नियमित चुनावों में निर्विरोध चुनाव जीते हैं, डिंपल यादव सहित कम से कम नौ ऐसे हैं, जिन्होंने उपचुनावों में निर्विरोध जीत हासिल की है. 1957 के आम चुनावों में अधिकतम 7 उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे. वहीं 1951 और 1967 के चुनावों में 5-5 उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे. जबकि 1962 में 3 और 1977 में 2 उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीते थे. इसी तरह से 1971, 1980 और 1989 में एक-एक उम्मीदवार ने चुनाव जीता था.