नई दिल्ली। आज का युद्ध नॉन कॉंटैक्ट काइनेटिक वॉर में बदल गया है. जमीन पर आमने सामने की लडाई लड़ने के बजाए पहले लॉंग रेंज रॉकेट, मिसाइल, यूएवी और लॉयटरिंग एम्यूनेशन के जरिए अपनी ताकत का लोहा मनवाया जाता है. भारत का स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर पिनाका पाकिस्तान पर फिर बरसने को है तैयार. पहली बार पिनाका की मार का स्वाद पाक सेना कारगिल में चख चुकी है. यह देश का पहला ऐसा हथियार है जो कि भारतीय सेना में शामिल होने बाद सीधा जंग में शामिल हो गया था. अब पहलगाम अटैक के बाद फिर से पाक को अपना रौद्र रूप दिखाने के लिए पिनाका पूरी तरह से तैयार है.
पिनाका की ताकत के सामने पाक फीका
पिनाका सेना की आर्टेलरी रेजिमेंट में शामिल है. एक साथ पूरी बैटरी दागने पर दुश्मन के 1000 गुना 800 मीटर के इलाके को पूरी तरह से तहस नहस कर देगा. पिनाका की एक बैटरी में 6 फायरिंग यूनिट यानी लॉन्चर होते हैं. एक लॉंचर में 12 ट्यूब होती है यानी की एक पूरी बैटरी में कुल मिलाकर 72 रॉकेट होते हैं.सिर्फ 44 सैंकेड ये सारे रॉकेट लॉंन्च हो जाते हैं. लॉन्चिंग के तुरंत बाद से लॉन्चर अपना लोकेशन बदलते हैं और फिर दोबारा से आर्मड किए जा सकते है. भारतीय सेना के पास पिनाका कि 4 रेजिमेंट है. साल 2027 तक सेना में इसकी रेजिमेंट का संख्या 10 हो जाएगी. पिछले दिनों ही PINAKA मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) के लिए एरिया डिनायल म्यूनिशन (ADM) टाइप-1 (DPICM) और हाई एक्सप्लोसिव प्री-फ्रैग्मेंटेड (HEPF) Mk-1 (एन्हांस्ड) रॉकेट की खरीद की गई.
बढ़ रही है इसकी रेंज
आत्मनिर्भर भारत के तहत भारतीय सेना लगातार अपने रॉकेट की रेंज को बढ़ाने में जुटी है. स्वदेशी मल्टी बैरल रॉकेट लॉंचर पिनाका के भारतीय सेना में शामिल होने के बाद से क्षमताओं में जबरदस्त इजाफा हुआ है. अब इसकी मारक क्षमता को 37 किलोमीटर से 75 किलोमीटर कोशिशें सफल हो गई. आखिरकार वह दिन आ ही गया जब भारत ने गाइडेड एक्सटेंडेड रेंज रॉकेट की पहला सफल फ्लाइट को अंजाम दे चुकी है. डीआरडीओ ने इसका तीन अलग अलग चरण में अलग अलग फायरिंग रेंज में इसका सफल परीक्षण किया था. हाई ऑलटिट्यूड इलाके में इसके सभी ट्रायल पहले पूरे हो चुके थे और अब प्लेन एरिया में ट्रायल भी सफल हुए.
गेम चेंजर है इसका नया अवतार
भारतीय सेना के आर्टेलरी में शामिल पिनाका फ्री फ्लाइट है. उसे फायर किया गया तो वह अपने रेंज 37 किलोमीटर के हिसाब से ही जाकर गिरेगा. इसमें ऐसी सटीकता नहीं थी कि ठीक निशाने पर हिट करे. इसे एक एरिया वेपन के तौर पर इस्तामाल किया जाता रहा है. लेकिन जो एक्सटेंडेड रेंज गाइडेड पिनाका है वो गाइडेड रॉकेट GPS नेविगेशन से लेस है यानी की एक बार टारगेट सेट कर दिया गया तो लॉन्च होने के बाद वह उस टार्गेट को सटीक मार करेगा. इसकी सटीक मारक क्षमता की बात करें तो ये टारगेट के 25 मीटर के आसपास हिट कर सकता है जो कि एक बेहतर रेंज है.
इस रॉकेट को पहले से ही प्रोग्राम किया गया होगा और लॉन्च करने के बाद जो ट्रैजैक्टरी सेट की गई होगी वो उसी पर मूव करेगा. अगर किसी वजह से वो अपने ट्रैजैक्टरी से कहीं भी इधर उधर होता है तो GPS की मदद से ऑन बोर्ड कंप्यूटर रॉकेट को वापस निर्धारित ट्रेजेकट्री पर ले जाएगा.यही नही GPS को सपोर्ट करने के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) लगा है ये एक नेविगेशन का सबसे पुरानी पद्धति है. इससे सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि अगर कोई सैटेलाइट GPS को ब्रीच करके उसे बाधित कर देगा तो भी INS के जरिए रॉकेट अपने टार्गेट को हिट करेगा. खास बात तो यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है ..