नई दिल्ली: जितनी दुनिया के कई देशों की आबादी नहीं उससे कई गुना सनातनी प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ में पहुंचने वाले हैं. 40 करोड़ से ज्यादा लोगों की अगवानी के लिए 34 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश किया जा चुका है. प्रयागराज में संगम किनारे की रेत पर ऐसी दिव्य नगरी बस रही है जिसकी कल्पना भी दुनिया के लोग नहीं कर सकते. भव्य दिव्य और नव्य महाकुंभ की छटा ऐसी होगी जो आज से पहले ना दुनिया ने देखी होगी और न ऐसे आयोजन के बारे में सुना गया होगा.
देवताओं को प्रिय संगम नगरी में श्रद्धा..आस्था…और पवित्रता का वो नज़ारा दिखेगा..जिसे देखने वाले इस अनुभव को पूरी जिंदगी भुला नहीं पाएंगे. इस आयोजन में दुनिया के 100 से ज्यादा देशों के लोग पहुंचेंगे. कई देशों के राष्ट्रअध्यक्ष भी महाकुंभ की छटा को निहारने आएंगे. लेकिन इस महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर बैन की तैयारी है…जिसका ऐलान बहुत जल्द हो सकता है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में इसका फैसला लिया गया…और इस बात से देश भर के साधु सन्यासी सहमत हैं.
महाकुंभ पर संतों की मांग से मुस्लिम क्यों बेचैन?
हालांकि अब तक के सबसे भव्य और दिव्य महाकुंभ के आयोजन से मुसलमानों को दूर रखने की संत समाज की मांग से मुसलमान बेचैन हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी ने कहा कि अफसोस की बात ये है और हैरतनाक भी है कि कुंभ में मुसलमान की दुकान नहीं लगाई जाएगी. महाकुंभ की इकोनॉमी जिसके अरबों के होने की बात बताई जा रही है, उससे मुसलमानों को कुछ नहीं मिलेगा. ये बात मुसलमानों को हजम नहीं हो रही.
प्रयागराज के मुसलमान व्यापारी इस बात से सदमे में हैं. उनका कहना है कि इससे उनका व्यापार घटकर आधे से भी कम रह जाएगा. वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं को लगता है आजकल मुसलमानों पर पाबंदियों का दौर चल रहा है. मुस्लिम धर्म गुरू काजी अनस अली ने कहा, ‘मुसलमान को नमाज पढ़ने नहीं दी जा रही. मुसलमान को कुछ काम नहीं करने दिया जा रहा मुसलमान जाए तो जाए कहां.अब मुसलमान महाकुंभ में व्यापार करना चाहता है तो वह भी नहीं करने दिया ज रहा.’ लेकिन इस बीच संत समाज महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर बैन लगाने पर अड़ा है.
महाकुंभ 2025 इतना दिव्य और भव्य होने वाला है जिसकी कल्पना अभी नहीं की जा सकती. लेकिन इस महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री बैन करने का संत समाज के निर्णय और मांग पर पूरे देश में चर्चा शुरू हो गई है. महाकुंभ की महा इकोनॉमी से मुसलमानों को वंचित रखने के आरोप लग रहे हैं तो दूसरी ओर साधु सन्यासियों के अपने फैसले के बचाव में अलग तर्क हैं. अखाडा परिषद इस बात पर अड़ी है कि महाकुंभ में मुसलमानों को दुकान आवंटित ना की जाए.
‘मुसलमानों को अलॉट न हों दुकानें’
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अक्टूबर की पहले सप्ताह में हुई बैठक में इस बात का फैसला लिया गया था कि इस बार कुंभ में आधार कार्ड के साथ प्रवेश हो
ताकि कोई गैर सनातनी मेला क्षेत्र में एंट्री ना कर पाए. ये मांग बाकायदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने भी रखी गई. अब जब महाकुंभ की शुरुआत होने में सिर्फ 2 महीने बाकी है तो ऐसे में एक बार फिर से संत समाज ने मुसलमानों को दुकानें आवंटित नहीं करने की मांग दोहराई है.
संतों का कहना है कि वो नहीं चाहते कि सनातन की पवित्रता किसी भी तरह खंडित हो. माना जा रहा है कुछ दिनों में संत समाज की ये मांग मानी जा सकती है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ प्रयागराज के दौरे पर संकेत दे कर गए हैं कि संत समाज की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा. साधु संत लगातार अखाड़ा परिषद के इस फैसले का समर्थन करते आए हैं और इसकी वजह भी खुलकर बताई जाती है.
इस वक्त देश में सबसे ज्यादा चर्चित कथावाचक धीरेन्द्र शास्त्री ने भी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के फैसले का पूरा समर्थन किया है. कुंभ के मौके पर विदेशों से भी लाखों लोग प्रयागराज आएंगे और दुनिया भर की नजरें कुंभ पर रहेगी. ऐसे में किसी विवाद से बचने के लिए संत समाज का फैसला बाबा बागेश्वर को बिल्कुल सही लग रहा है. देश भर का संत समाज साफ साफ कहा है कि वो किसी धर्म के विरोधी नहीं लेकिन कई बार कुछ लोगों के उल्टे काम के गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.
खास समुदाय के थूक जिहाद से भड़के हैं संत
हालांकि इससे पहले प्रयागराज में हुए किसी धार्मिक आयोजन में साधु संतों ने इस तरह की मांग नहीं की. लेकिन जब लगातार खाद्य पदार्थों में गंदगी मिलाने की खबरें बढ़ने लगीं तो संत समाज भी आक्रोशित हो गया.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के जो साधु मुसलमानों को महाकुंभ में दुकानें आवंटित नहीं करने पर अड़े हुए हैं. उनका साफ कहना है कि हाल-फिलहाल में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसमें मुस्लिम दुकानदानों ने खाने पीने के सामनों में थूका या फिर किसी तरह की गंदगी मिलाई . इस तरह की ज्यादातर घटनाएं मुस्लिमों द्वारा की गई. ऐसे में अच्छा होगा कि मुसलमानों को मेला क्षेत्र से दूर रखा जाए क्योंकि ऐसी कोई घटना हुई तो साधु समाज आक्रोशित हो सकता है.
लेकिन मुस्लिम धर्मगुरुओं और उन मुसलमानों को संत समाज के इस फेसले से एतराज है जिसमें महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर बैन लगाया जा रहा है. मुस्लिम धर्मगुरू अब अखाड़ा परिषद पर लगाम लगाने की बात कह रहे हैं. अगर मुस्लिम इस फैसले से नाराज़ और परेशान हैं…तो इसकी सबसे बड़ी वजह है लाखों करोड़ की इकोनॉमी वाले महाकुंभ से पूरी तरह से दूर हो जाने का ख़तरा क्योंकि इस बार प्रयागराज महाकुंभ के लिए रिकॉर्ड 40 करोड़ से ज्यादा लोगों की अगवानी करने जा रहा है.
कुंभ से भरने वाली लोगों की जेबें
वर्ष 2019 के कुंभ में सरकार का खर्च 4200 करोड़ रुपये था और कुंभ मेले से 1 लाख 20 हजार करोड़ का कारोबार हुआ था. इस कुंभ में लगभग 23 करोड़ लोग आए थे. इस बार महाकुंभ 2025 में प्रयागराज आने वालों की संख्या 40 करोड को पार कर सकती है और माना जा रहा है कि इस लिहाज से महाकुंभ 2025 की इकोनॉमी 2 से 3 लाख करोड़ की हो सकती है. इस इकोनॉमी में छोटे व्यापारियों को भी काफी लाभ होने वाला है.
अगर प्रयागराज पहुंचने वाले 40 से 45 करोड़ लोग 1000 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक खर्च करते हैं तो भी इकोनॉमी में इतना बड़ा उछाल आएगा कि यूपी सरकार के साथ साथ स्थानीय व्यापारी और छोटे मोटे काम करने वालों की झोलियां भी भर जाएंगी. इकोनॉमिस्ट प्रयागराज के महाकुंभ की इकोनॉमी के बारे में जो बता रहे हैं वो सुनकर जिन्हें इस महाकुंभ से महरूम किया जा रहा है उनका दर्द और ज्यादा बढ़ जाएगा क्योंकि ये महाकुंभ राज्य को 1 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने में भी बड़ा योगदान देगा.
हमने प्रयागराज के व्यापारियों से भी बात की आखिरकार अखाड़ा परिषद के फैसले को वो किस तरह से देखते हैं तो फुटवियर शॉप लगाने वलो मोहम्मद इरशाद ने एक शेर सुनाया, जिसमें उनका दर्द भी छिपा था. मोहम्मद इरशाद इस फैसले से दुखी हैं लेकिन प्रयागराज के कई दूसरे मुसलमान कारोबारियों को लगता है इससे दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाएंगे क्योंकि मुसलमान व्यापारियों की जीविका पर संकट आएगा. मुसलमान व्यापारियों ने ये भी बताया कि वो कितने दिनों से महाकुंभ में दुकान लगा रहे हैं..क्या क्या चीजें बेचते हैं..और अगर उनके मौका छिना तो कितना नुकसान हो जाएगा.
प्रयागराज पहुंचने लगे संतों के अखाड़े
इसके अलावा कई ऐसे मुसलमान भी हमको मिले जो कहते हैं, जिन्होंने ये बयान दिया वो सियासत कर रहे हैं. हालांकि जिन संतों ने इस मुस्लिम दुकानदारों को दुकानें आवंटित नहीं करने की बात कही है उनके तर्क इससे अलग हैं. संत ये भी कह रहे हैं वो किसी के रोजगार या धर्म के विरोधी नहीं लेकिन इस बात की गारंटी कौन देगा कि जो चीजें सामने आ रही हैं वो महाकुंभ में नहीं होगा.
सारा बवाल इस बात पर हो रहा है कि महाकुंभ में मुसलमान दुकान लगाएंगे या फिर नहीं लगाएंगे. इस पर आखिरी फैसला अभी लिया जाना है. वैसे सिर्फ मेला क्षेत्र नहीं पूरे शहर में इस तरह का काम हो रहा है..जिससे इकोनॉमी को पंख लग रहे हैं. महाकुंभ शुरू होने से पहले प्रयागराज का नज़ारा ऐसा हो जाएगा कि सिर्फ मेला क्षेत्र नहीं शहर की खूबसूरती और दूसरे धार्मिक और पर्यटक स्थल भी लोगों को आकर्षित करेंगे.
फिलहाल मेला क्षेत्र की बात करें तो जूना अखाड़े के नगर प्रवेश के साथ महाकुंभ की हलचल और तेज हो गई है. हजारों की संख्या में जब साधु मेला क्षेत्र में प्रवेश कर रहे थे वो नज़ारा देखकर महाकुंभ का नज़ारा कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इसके लिए तैयारियां भी चाक चौबंद की जा रही हैं…हर क्षेत्र को संवारा जा रहा है.
महाकुंभ के लिए प्रयागराज को कई बड़ी योजनाओं से चमकाया जा रहा है. तेलियरगंज से संगम क्षेत्र तक 13 किलोमीटर का रिवर फ्रंट भी बनाया जा रहा है…शहर की सड़कों और चौराहों को चौड़ा करके उनको सजाने का काम भी जारी है. कई फ्लाई ओवर भी बनाए जा रहे हैं. प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट का विस्तार भी किया जा रहा है..इन सारी तैयारियों के जरिए इस बात की कोशिश है कि महाकुंभ में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी ना हो.
संतों के फैसले को मिल रहा लोगों का समर्थन
2019 के कुंभ में प्रयागराज को ऐसे सजाया संवारा गया कि लोगों को शहर नया सा लगने लगा था. इस बार तैयारियां और ज्यादा चाक चौबंद हैं. श्रद्धालुओं के लिए 7000 से अधिक बसें..डेढ़ लाख से अधिक शौचालय स्थापित होंगे..10 हजार से ज्यादा कर्मचारी सफाई का जिम्मा संभालेंगे. रेलवे स्टेशन का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है. इसके अलावा रेलवे महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के अलग अलग स्टेशनों से करीब 900 स्पेशल ट्रेनें चलाएगा.
प्रयागराज प्रदेश का पहला शहर है, जहां पर तीन धर्मिक स्थलों पर कॉरिडोर बनाया जा रहा है. शहर में इतना कुछ हो रहा है और जिस जगह पर ये मेला लग रहा है वहां पर मुलसमान नहीं होंगे इसलिए मुस्लिमों का दर्द और ज्यादा नजर आ रहा है. हालांकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष इन आरोपों से साफ इंकार कर रहे हैं कि वो मुसलमानों के रोजगार के विरोधी हैं. उन्होंने ये भी गिनाए किस तरह हिंदुओं की आस्था के सामानों से मुसलमान जुड़े हैं..लेकिन खाने पीने के सामान पर अब भरोसा नहीं किया जाएगा.
अखाड़ा परिषद ये भी कह रहा है पाबंदी सिर्फ खाने पीने के सामनों पर लगाई जाएगी क्योंकि ये सनातन की शुद्धता के लिए जरूरी है. हालांकि कुछ मौलाना इन आरोपों पर भी भड़क गए और हिंदू संतों पर सवाल खड़ा करने लगे. सवाल संतों के गौमूत्र पीने पर उठाया गया. वे इसे अपने साथ ज्यादती बता रहे हैं…उन्हें इस बात का दर्द है..आखिरकार उनसे रोज़गार का मौका क्यों छीना जा रहा है. महाकुंभ में मुस्लिम दुकानदारों को बैन करने किये जाने के फैसले को साधु संतों और अखाड़ा महामंडलेश्वरों का भरपूर समर्थन मिल रहा है. इस मुद्दे पर जी न्यूज ने अलग अलग अखाड़ों से जुड़े संतों से बात की… और सभी संतों ने इस फैसले को शत प्रतिशत सही बताया.
अपनी दुकानें न लगने से मायूस हो रहे मुसलमान
पिछले कुछ दिनों से खाने पीने की चीजों के साथ बेहूदगी की खबरों और उसमें शामिल मुस्लिम समुदाय के लोगों की वजह से संत समाज अखाड़ा परिषद के इस फैसले को सही ठहरा रहा है. संत समाज ने साफ कर दिया है कि इस तरह का जिहाद सनातनी मेले में किसी कीमत पर स्वीकार नहीं होगा. वहीं तिरुमाला मंदिर में प्रसाद में मिलावट को लेकर काफी विवाद हुआ. जिसके बाद कई धर्म गुरू इस तरह के खतरे की आशंका जता रहे हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि महाकुंभ को लेकर देशभर से सनातनी प्रयागराज पहुंचेंगे…ऐसे में धर्म गुरू षड़यंत्र या साजिश की भी आशंका जता रहे हैं.
वहीं कुछ लोग इसे व्यापार से जोड़कर देख रहे हैं. जिन मुस्लिम दुकानदारों ने पिछली बार दुकानें लगाई थी…वो इस बार ऐसा नहीं कर पा रहे, जिस वजह से दुकानदारों में नाराजगी है. वहीं कुछ लोगों ने मेला समिति से इस फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की. बहरहाल इन तमाम प्रतिक्रियाओं के बीच महाकुंभ को लेकर तैयारी शुरू हो गई है…एक तरफ इस मेले को लेकर सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी जिम्मेदारी है…तो वहीं दूसरी तरफ करोड़ों हिंदुओं की आस्था का ख्याल रखना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगी.