हिंदू धर्म में शक्ति का पर्याय मानी जाने वाली देवी दुर्गा की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है. मां दुर्गा से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए उनके भक्त नवरात्रि के 09 पावन दिनों में पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा, साधना, जप-तप और व्रत करते हैं. शक्ति साधना से जुड़े इन 09 दिनों में हर साधक की कामना होती है कि उसके द्वारा की गई पूजा का उन्हें शीघ्र ही फल प्राप्त हो. यदि आपकी भी इस नवरात्रि पर अपने कष्टों को दूर और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए देवी दुर्गा की पूजा, जप और व्रत करने करने जा रहे हैं तो उसे सफल बनाने के लिए आपको नीचे दिए गये नियमों का जरूर पालन करना चाहिए.
नवरात्रि की पूजा एवं व्रत के नियम
- नवरात्रि पर देवी दुर्गा से मनचाहा वरदान पाने के लिए आप अपनी श्रद्धा, समय और सामर्थ्य को देखते हुए ही व्रत का संकल्प लें. यदि आप 09 दिनों तक माता के व्रत को नहीं कर सकते तो आप इसे सात दिन, तीन दिन, एक दिन या फिर पहले और आखिरी दिन रख सकते हैं.
- नवरात्रि का व्रत रखने के लिए सबसे पहले इसे विधि-विधान से करने का संकल्प लें फिर इसके बाद तन और मन से शुद्ध होकर पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके देवी की पूजा करें.
- नवरात्रि के 09 दिनों का व्रत और पूजन का शुभ फल पाने के लिए साधक को हमेशा पीले या लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए. शक्ति के साधक को नवरात्रि व्रत के दौरान भूलकर भी काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इसी प्रकार साधक को भूलकर भी अपने बाल या नाखून नहीं कटवाना चाहिए.
- नवरात्रि में देवी की पूजा एक निश्चित समय पर ही करें और पूजा करने से पहले अपने पास सभी जरूरी चीजें इकट्ठा करके रख लें ताकि शक्ति की साधना करते समय कोई व्यवधान न आए.
- देवी दुर्गा की कृपा बरसाने वाले नवरात्रि व्रत को पूरे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए करना चाहिए और यदि संभव हो तो व्रत के 09 दिनों में पलंग की बजाय जमीन पर साधारण बिछौना बिछाकर सोना चाहिए.
- नवरात्रि के व्रत करने वाले साधक को 09 दिनों तक नियम और संयम का पालन करते हुए सिर्फ और सिर्फ फलहार ही करना चाहिए. इस दौरान देवी के साधक को भूलकर भी अन्न और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. व्रत के दौरान साधक को भूलकर भी किसी के प्रति काम, क्रोध, लोभ आदि की भावना नहीं लाना चाहिए और न ही उसे झूठ नहीं बोलना चाहिए.
- नवरात्रि के 09 दिनों में जब आप देवी की साधना करने के बाद खुद को खाली पाएं तो बजाय अपना मन इधर-उधर लगाने की बजाय शक्ति अथवा अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का मन में जप करना चाहिए.
- नवरात्रि के 09 दिनों तक साधक को भूलकर भी कन्याओं को परेशान या उनका अपमान नहीं करना चाहिए, बल्कि व्रत के दौरान उनका विधि-विधान से पूजन करने के बाद उन्हें उपहार आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए.
- नवरात्रि का व्रत एवं पूजन करने के बाद पूजा की सामग्री को इधर-उधर या फिर किसी पवित्र नदी में फेंकने की बजाय उसे किसी पवित्र जगह पर गढ्ढा करके दबा देना चाहिए.