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मेरा जीवन, मेरी रचना “ट्रांसप्लांट के बाद, जीवन की एक नई शुरुआत”

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
22/03/21
in नई मंजिले, साहित्य
मेरा जीवन, मेरी रचना “ट्रांसप्लांट के बाद, जीवन की एक नई शुरुआत”

श्रीमति कनिका जैन

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लेखिका – श्रीमति कनिका जैन
(Psychologist, Therapist & Healing Practitioner)

यह ब्रह्मांड बहुत ही उदार है l बस हमे अपने जीवन में आगे बढ़ने की नई शुरुआत करनी है और यह हमें सफलता और समृद्धि प्रदान करता है l
मुझे अक्सर लोग कहते हैं कि ट्रांसप्लांट से पहले का समय, एक मरीज़ के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है l अंग दानी को ढूढना, पैसों की व्यवस्था करना, डॉक्टरी विशेषग्यता की छान-बीन करना और बहुत कुछ l इन सबमें बहुत पैसा और समय लग जाता है l वैसे भी दु:ख, दर्द और दुसरे पर निर्भर जीवन का अंत करने के लिए, इतनी मेहनत तो आवश्यक है l यद्यपि आज मैं ऐसा महसूस करती हूं कि ट्रांसप्लांट के बाद का समय ज़्यादा महत्वपूर्ण है l हमें इस नवजीवन को स्वस्थ और सामान्यता से जीने के लिए एक नयी सोच चाहिए, इसीलिए मैं इसे जीवन की ‘एक नई शुरुआत’ कहती हूं।

श्रीमति कनिका जैन

मेरे पापा ने मुझे अपनी किडनी सात साल पहले प्रदान की l जब ऑपरेशन के बाद ICU में मेरी आँखें खुली, तब मुझे अपने शरीर में अत्याधिक दर्द का एहसास हुआ | मैं बिस्तर से हिल भी नही पाई | पर मेरा मन इतनी तेज़ी से दौड़ रहा था कि उसका अनुमान लगाना भी मुश्किल था | अब समय आ गया था कि मैं उस आध्यात्मिक औरआत्म विषयक विद्या का प्रयोग करूँ, जिसे मैं महीनों से सीख रही थी|

ऑपरेशन के बाद, पहले 24 घंटे में दर्द ने मुझसे दोस्ती की l नींद मुझसे चालाकी से बच निकली, पर मेरा मन गहरे अवचेतन में जाकर बीज बोने लगा | एक दिलचस्प बात हुई, कि मैंने अपनी कल्पना में अपनी नयी किडनी या ग्राफ्ट को बहतु खुश और स्वस्थ देखा l उसे अपने बाकी शरीर के साथ मधुर तालमेल में पाया | ऐसा लगता था मानो मेरे शरीर में पार्टी चल रही थी, जहाँ मेरे सारे अंग उस ग्राफ्ट का स्वागत कर, उसे प्यार दे रहे थे | इससे बेहतर और क्या हो सकता है, मैंने सोचा, इससे आगे और क्या-क्या संभव है l

मेरे ऑपरेशन को अभी 48 घंटे ही हुए थे, कि मेरे नफेरोलॉजिस्ट (डॉक्टर) ने ज़ोर दिया कि मैं बिस्तर से उठूं और चलूँ | बस तब तक चलती ही रहू जब तक मेरे शरीर में जान आ जाये और वह सामान्य रूप से चलने लगे | उनकी बात अटपटी और असंभव लगी, पर मेरे पास कोई दूसरा चारा नहीं था | तो मैंने अपने शरीर के अत्यतं दर्द और उस पर लगातार बीप-बीप करती मशीनों के साथ, खुद को बटोरा और एक के बाद एक, अपने अस्थिर कदम आगे बढ़ाये | मैंने अपने शरीर को, अपने मन और आत्मा की शक्ति से उत्तेजित किया, जो मैंने कई महीनों से जोड़ी थी | मुझे सफलता मिली, या फिर यूँ कहूं ये कि मुझे ऐसा बताया गया कि ऐसे ऑपरेशन का बाद, अधिकांश रेसिपिएट्ंस बिस्तर से उठ सीधाखड़ा होने के लिए भी बहुत ज़्यादा समय ले लेते हैं | जब तक मेरा हॉस्पिटल से जाने का समय आया, मेरे मन में आशाएं थी और मेरे पैरों में फुर्ती | मुझे बताया गया कि ऑपरेशन के बाद, पहले 6 हफ़्तों से लेकर 12 महीनों तक का समय, इन्फेक्शन और ग्राफ्ट रिजेक्शन के दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण है | इसीलिए मुझे अपनी सेहत,व्यायाम, नियमित डॉक्टरी जांच, साफ़-सफ़ाई, यात्रा आदि,से संबधिंत सभी नियमों का ध्यान रखना होगा l

श्रीमति कनिका जैन
मेरा प्यार, मेरे पति, जिन्होंने हमेशा मेरा साथ निभाया l

मैं यह अच्छी तरह जानती थी कि ट्रांसप्लांट के बाद मेरे जीवन में मौलिक बदलाव आएगा | मेरा नाम मात्र ‘सामान्य जीवन’ हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा और मुझे अपने लिए एक ‘नए सामान्य’ की रचना करनी होगी| मेरी आदतें,ज़रूरतें,पसंद,यहाँ तक कि मेरे जीवन-लक्ष्य तक में गंभीर बदलाव आएगा | और एक नयी जीवन शैली धीरे-धीरे उभरेगी | अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए, मुझे इस बदलाव को अनुमति देनी होगी और इस नयी जीवन शैली को गले लगाना होगा | ध्यान रखते हुए कि मेरी दवाइयों के बहुत कठोर शारीरिक,मानसिक और भावनात्मक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, मैंने जीवन जीने के नए तरीकों को सुसंगत किया |

मैंने अपने शरीर की अनुशासन का साथ देखभाल की, अपने मन को सकारात्मक विचारों और भावनाओं को विकसित किया और मैंने अपनी आत्मा की शक्ति का उपयोग किया | मैंने अपने जीवन को एक लक्ष्य के साथ गति दी, और खुद को सफ़ल होने का मौका दिया और तब से, ना सिर्फ मैंने वो किया है जो मैं हमेशा से करना चाहती थी, यानी एक दूसरी मास्टर्स डिग्री (इस बार मनोविज्ञान-साइकोलॉजी में) | और मैंने दो सर्टिफि केट शन – ‘रेडिकल चक्र हीलिग’ और ‘शामानिस्म’ में की, जो मेरे हीलिग प्रैक्टिशनर होने के लंबे करियर में अनुवृद्धि करते हैं | मैं भाग्यशाली हूं  कि मैंने दुसरो के जीवन में अपनी थेरेपी, काउन्सलिग, हीलिग सेशन सेमि नार और ट्रेनिंग प्रोग्राम द्वारा, सफ़ल योगदान दिया है | मेरा मानना है कि मुझे दिए गए जीवन के इस दुसरे अवसर का मैंने सम्मान किया है | इन सालों में मेरी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स मेरे अनचाहे साथी बन गए हैं | अनियमित भूख़,वज़न बढ़ना, बाल गिरना, अस्थिर मानसिक और भावनात्मक स्थिति, थरथरी या फिर हाल ही में हईु हड्डियों और मांसपेशियों में असीम दर्द | तब भी मैं आभारी हू कि मैं इन्फेक्शन और ग्राफ्ट रिजेक्शन से हमेशा मुक्त रही हूं और भगवान् ने इस पूरे सफ़र में मेरा साथ दिया है और मुझ पर कृपा कर बच्चे का आशीर्वाद दिया है | मेरा बेटा, मेरा अभिमान, जिसे मैंने अपने ट्रांसप्लांट के कुछ सालों बाद जन्म दिया है |

श्रीमति कनिका जैन
जिसने मुझे जन्म दिया और जिसे मैंने जन्म दिया

मैं सौभाग्यशाली हू कि मेरे पूरे परिवार ने मेरे पति,माता-पिता, भाई-भाभी, यहाँ तक की मेरा 3 साल का बेटा, उन्होंने मुझे हमेशा अथाह प्यार, सहायता, धीरज और प्रोत्साहन दिया है | मेरे जीवन में उनकी उपस्थिति मात्र ने मुझे आत्मविश्वास, शक्ति और ख़ुशी दी है | परन्तु मेरे जीवन में मुझे हर व्यक्ति अनुकूल नहीं मिला | कुछ लोगों ने मेरी बीमारी को स्वीकार नहीं किया या फिर उससे डरकर उन्होंने मुझे दु:ख पहुचाया और मेरा अपमान किया | कई लोगों को मेरा नया अनुशासित जीवन बनावटी लगा,तो उन्होंने मेरा मज़ाक उड़ाया | पर मैंने अडिग होकर नवजीवन का चुनाव किया, उन लोगों का आभार माना जिन्होंने मुझे प्यार किया और उन लोगों से दूरी बनाई जिन्होंने मुझे दु:ख दिया | कुल मिलाकर यह एक अच्छी यात्रा रही, जिसमें उतार-चड़ाव और अच्छे-बुरी यादें हैं |

श्रीमति कनिका जैन
मेरा भाई, मेरा सच्चा हमसफ़र

किडनी ट्रांसप्लांट के इस सफ़र में मैंने बहुत लोगों की काउन्सलिग की है, जैसे वे जो किडनी फेलियर (CKD) से पीड़ित थे, डायलिसिस पर थे, अपने ट्रांसप्लांट का इतंज़ार या उसकी तैयारी कर रहे थे और ट्रांसप्लांट रेसिपिएट्ंस | मुझे उनके करीबी लोगों की भी काउन्सलिग करने का अवसर मिला जैसे उनके डोनर, जीवनसाथी, परिवार और देख-रेख करने वाले | मैं इन्हे ‘मेरा समुदाय’ कहती हूं। क्यूंकि इन्होने अंगसमाप्ति और ट्रांसप्लांट (ऑर्गन फेलियर और ट्रांसप्लांट) को खुद अनुभव किया है या ऐसे मरीज़ों को करीब से देखा है | ये सभी अपने जीवन की अनूठी परिस्थितियां और चुनौतियां सामने लाये | ये सभी, दर्द समझते थे, गुस्सा महसूस करते थे और अपने दिनों में भरी अनिश्चयता के कारण अपना भविष्य धुंधला पाते थे | और डॉक्टरों के पास उनके खरे सवालों का ना कोई जवाब था और ना ही उनके डर से मुक्ति का कोई रास्ता | वे निराश और व्याकुल थे,बिना जाने कि सभी जवाब उनके ही अंदर हैं |

श्रीमति कनिका जैन
मेरा वीर , मुझे हर दिन प्रेरणा देता

इन बीते सालों में मुझे एहसास हुआ है, कि अपनी मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्ति को विकसित करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना अपनी शारीरिक शक्ति को | सकारात्मक सोच हमें शारीरिक तौर से, जल्दी और आसानी से स्वस्थ होने में सहायता करती है |

के अतिरिक्त, अपने जीवन साथी,परिवार या देख-रेख करने वालों के प्रति,धीरज और उचित उम्मीदें रखने से, हमेशा लाभ होता है और मेरे लिए,अनुभवी लोग जैसे थेरेपिस्ट और काउंसलर की मदद के कारण, मेरा सफ़र आसान और संभव हो सका है l सकारात्मकता और शक्ति से जुड़ा होगा |

आईये अपनी यात्रा, एक नयी शुरुआत, साथ करें
सच्चे योद्धा “मेरा समुदाय”, मैं आपसे अपने अनुभव बांटना चाहती हूं| अपने मन की ऑंखें खोलें और डॉक्टरी सीमाओं के पार जाएँ | अपने डर, आशंकाओं और निराशा को छोड़ कर, जीवन में खुशहाली को चुनें | आप अपने दैनिक – वास्तविक जीवन में, अच्छे स्वास्थ, सुख और समृद्धि के अधिकारी हैं | आप अपनी शारीरिक, मानसिक,भावनात्मक और आध्यात्मिक शक्तियों में सम्पूर्ण संतुलन बना सकते हैं l

मैं आशा करती हू कि मेरी कहानी से आपको अपने अंदर झांक कर, अपने जीवन का पदभार संभालने और उसकी नई शुरुआत करने की प्रेरणा मिली होगी | मैं अपनी थेरेपी, काउन्सलिग, हीलिग सेशंन, सेमिनार और ट्रेनिगं प्रोग्राम द्वारा,आपको सहायता और मार्गदर्शन देना चाहती हू।

ORGAN India ने एक पहल की है जिसका नाम है ‘A New Beginning’ (एक नयी शुरुआत) l जिससे हमे एक दूसरे से जुड़ने और बात करने का अवसर मिलेगा | यहाँ मैं “मेरा समुदाय”, आपसे वेबिनार सहायता सेशंस द्वारा, महीने में दो बार मिलूंगी और हम अपने जीवन से जुड़े विषयों के बारें में बातें करेंगें | हर वेबिनार का सार हमारे जीवन में सकारात्मकता और शक्ति से जुड़ा होगा |

मुझसे संपर्क करने के लिए anewbeginning@organindia.org पर  ईमेल करें l 

आईये अपनी यात्रा, एक नयी शुरुआत, साथ करें


इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए क्लिक करें
https://www.organindia.org/ORGAN-DONATION/life-design-chapter-2-new-beginning-transplant/

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