दुर्गा प्रसाद पांडा
रायगड़ा। रायगड़ा जिले के अंडीरा काँच में अनुसूचित जाति की गर्भवती महिला की मौत के मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आयोग ने मामले को बेहद गंभीर मानते हुए इसे अमानवीयता की सभी सीमाओं का उल्लंघन बताया।
गौरतलब है कि वर्ष 26 दिसंबर 2022 में उत्कल एल्यूमिना कंपनी में कार्यरत कई महिला कर्मचारी अपने अधिकारों की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही थीं। इस बीच आंदोलन को लेकर कंपनी प्रतिनिधियों और महिला कर्मचारियों के बीच तीखी नोक-झोंक हुई। मौके पर पहुंची पुलिस ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार होने वाली महिलाओं में अनुसूचित जाति की नौ महीने की गर्भवती महिला सुलाबती नाइक भी शामिल थी। पुलिस ने मानव अधिकारो के सभी नियमों को ताक पर रखते हुए सुलाबती नाइक के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया और उसे 10 दिनों के लिए जेल में भेज दिया। जहां उसकी स्थिति पर दया नहीं की गई और उसे तत्काल चिकित्सीय सेवाएं भी उपलब्ध नहीं कराई गई। इस बीच जब सुलाबती नाइक की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उसे रायगड़ा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रसव के दौरान उसने लड़के को जन्म दिया। पर समय पर आवश्यक चिकित्सा सेवाएं न मिलने के कारण सुलाबती नाइक की मौत हो गई।
पुलिस की इस लापरवाही और घटना को लेकर क्षेत्र में जमकर बवाल हुआ। साथ ही पुलिस विभाग की अक्षमता और अव्यवस्था पर सवाल उठे थे। जनता के भारी दवाब को देखते हुए संबंधित थाने में केस नंबर 68/26/02/23 में मामला दर्ज किया गया। लेकिन लंबे अंतराल के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तब स्थानीय आरटीआई एक्टिविस्ट रवींद्र पटखंडल ने मामले की जोरदार आवाज उठाई तथा इसको लेकर में राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई। रवींद्र पटखंडल के पत्र को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले को बेहद गंभीर माना तथा इसे अत्यंत अमानवीयता की श्रेणी का बताया। संबंधित अधिकारी विवेकानंद शर्मा के खिलाफ 9 फरवरी को राष्ट्रीय महिला आयुक्त को शिकायत लिखी गई थी। राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
गौर करने वाली बात है कि उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल लिमिटेड कंपनी में लगातार मानव अधिकारों के उल्लंघन की खबरें आती रहती है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित आदिवासी लोग होते हैं। कंपनी के कर्मचारी और बड़े अधिकारी इनका उत्पीड़न करते हैं। पुलिस भी यहां की जनता की आवाज को नहीं सुनती।
गौर करने वाली बात है की उत्कल एल्यूमिना को प्रदेश की सत्ता में राज करने वाली पार्टी बीजू जनता दल का पूरा समर्थन है। यही कारण की कंपनी द्वारा स्थानीय लोगों पर अत्याचार करने की शिकायतों पर न तो जिला प्रशासन ध्यान देता और न ही पुलिस प्रशासन। कंपनी पर कार्रवाई करने के बजाय उल्टे स्थानीय लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया जाता है। वहीं उत्कल एल्यूमिना कंपनी का विरोध करने वालों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जाते हैं। पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली का खामियाजा स्थानीय जनता को भुगतना पड़ता है।