नई दिल्ली. भारत सरकार स्मार्टफोन में मेड इन इंडिया कम्पैटिबल नेविगेशन सिस्टम इस्तेमाल किए जाने की योजना बना रही है. इसलिए सरकार चाहती है कि Xiaomi, ऐपल और सैंमसंग जैसे स्मार्टफोन ब्रांड अपने फोन को NavIC के भारतीय नेविगेशन के अनुकूल बनाएं. इससे अमेरिकी ग्लोबल पॉजीशनिंग सिस्टम (GPS) पर निर्भरता कम होगी.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक केन्द्र सरकार NavIC को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने के लिए कह सकती है. इसके चलते कंपनियों को अपने फोन के हार्डवेयर में बदलाव करने होंगे, जिससे ब्रांड फोन की कीमतों में इजाफा हो सकता है. वहीं, GPS पर निर्भरता कम होने से भारत की इकोनॉमी पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, NavIC बेस्ड स्मार्टफोन जनवरी 2023 से बाजार में उतारे जाएंगे.
हार्डवेयर सेटअप में शामिल करना होगा NavIC
सरकार का कहना है कि भारत में डिजाइन किया गया NavIC घरेलू नेविगेशन में GPS के मुकाबले ज्यादा सटीक जानकारी प्रदान करता है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार जीपीएस के बावजूद हार्डवेयर सेटअप में NavIC को शामिल करना अनिवार्य कर सकती है. इस तरह के बदलाव फोन निर्माताओं को अपने डिजाइन और प्रोडक्शन प्लान को पूरी तरह से बदलने के लिए मजबूर करेंगे.
कपंनियों ने बदलाव के लिए मांगा समय
फिलहाल सरकार ने अपने विचार कथित तौर पर सैमसंग और Xiaomi से शेयर किए हैं, जिन्होंने पिछले एक महीने में मंत्रालय के साथ कई निजी बैठकें की हैं. कंपनियों का कहना है कि इस तरह के बदलावों के लिए 1 जनवरी की समय सीमा काफी कम है. जानकारी के मुताबिक फोन ब्रांडों ने हार्डवेयर में बदलाव करने के लिए 2025 तक का समय मांगा है.
चिपसेट मेकर्स भी होंगे प्राभावित
नया नेविगेशन सिस्टम न केवल फोन निर्माताओं बल्कि चिपसेट मेकर्स को भी प्रभावित करेगा. हालांकि, इस संबंध में न तो कंपनियों और न ही इसरो ने कोई टिप्पणी की, लेकिन जानकारी मिली है कि भारत सरकार NavIC को भारतीय टेक इको सिस्टम में और आगे ले जाना चाहती है.
सरकार ने किया रिपोर्ट का खंडन
Xiaomi के पास कुछ फोन हैं जो दावा करते हैं कि वे NavIC के साथ compatible हैं, लेकिन इंडस्ट्री नेविगेशन को इतने कम समय में बदलना संभव नहीं है. वहीं, मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में रॉयटर्स द्वारा किए गए दावों का खंडन किया है और कहा है कि फोन में NavIC पर तुरंत लाने की कोई योजना नहीं है.
2018 में लॉन्च हुआ था NavIC
बता दें कि इस समय चीन, यूरोपीय यूनियन और रूस के पास अपना ग्लोबल और क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम है, जो GPS को टक्कर देता है. बता दें कि NavIC को 2018 में कमर्शियली लॉन्च किया गया था, जिसे पब्लिक वीकल लोकेशन ट्रैकर्स के लिए मैनडेटरी किया गया है.