नई दिल्ली: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है. मगर, सियासी शतरंज सज चुका है. सभी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं, जिसमें जातीय समीकरण का एजेंडा सबसे ऊपर है. इस कड़ी में एनडीए की नजरें राजपूत वोटों पर हैं. इसको देखते हुए महाराणा प्रताप की जयंती पर पटना में भव्य कार्यक्रम होगा. एनडीए की ओर से नौ मई को कार्यक्रम रखा गया है. इसमें हिस्सा लेने के लिए केंद्र और राज्यों के बड़े राजपूत नेताओं और मंत्रियों को न्योता दिया गया है.
सूबे की राजधानी में होने वाले इस कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी बुलाया गया है. शेखावत राजस्थान के जोधपुर से सांसद हैं. बड़े राजपूत नेताओं में इनकी गिनती होती है. इससे पहले बाबू कुंवर सिंह की जयंती पर भी एनडीए ने पटना में बड़ा कार्यक्रम किया था. 23 अप्रैल को मरीन ड्राइव पटना में बड़ा एयर शो भी हुआ था. इसमें सीएम नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद थे.
करीब चार प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं
बिहार में करीब चार प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं. चुनाव परिणामों को प्रभावित करने में इनकी बड़ी भूमिका रहती है.एनडीए के प्लान के इतर बिहार में जाति जनगणना के ऐलान पर भी सियासत तेज है. राजधानी पटना में सड़कों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं के बीच पोस्टर लगाने की होड़ चल रही है. सभी आगामी जनगणना में जाति आधारित डेटा को शामिल करने के फैसले का क्रेडिट ले रहे हैं. सरकार ने बुधवार को ऐलान किया था कि जाति गणना आगामी जनगणना के साथ ही होगी.
जेडीयू दफ्तर के बाहर लगा पोस्टर
इस ऐलान के बाद बिहार में गुरुवार को जेडीयू दफ्तर के बाहर एक पोस्टर लगाया गया. इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी दोनों के प्रति आभार व्यक्त किया गया. पोस्टर में लिखा गया, ‘नीतीश ने कर दिखाया, अब देश में भी वही अपनाया गया है. प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद. बिहार से लेकर भारत में जाति जनगणना’. इसके बाद आरजेडी और कांग्रेस ने भी अपने-अपने दफ्तर के बाहर पोस्टर लगाए. इसमें ये फैसला लेने के लिए सरकार पर दबाव डालने का क्रेडिट अपने नेताओं को दिया.
आरजेडी-कांग्रेस के दावे पर बीजेपी का पलटवार
आरजेडी ने अपने पोस्ट में लिखा, लोग झुकते हैं, उन्हें झुकाने के लिए कोई चाहिए. आखिरकार केंद्र सरकार ने लालू और तेजस्वी की बात मान ली. इसका श्रेय लालू और तेजस्वी को जाता है. इस पर बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा, आगामी जनगणना में जाति आधारित आंकड़े शामिल करने के फैसले का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को ही जाता है. अगर लालू कहते हैं कि 1995-96 में जाति आधारित जनगणना पास हुई थी तो लागू क्यों नहीं किया गया?