मुंबई: महाराष्ट्र में भले ही बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की गठबंधन सरकार चल रही हो लेकिन इस गठबंधन में कई गांठें हैं और वे अब एक-एककर खुलने लगी हैं। लोकसभा चुनावों में महायुति के अपेक्षाकृत कमतर प्रदर्शन के बाद शुरू हुआ गठबंधन का झगड़ा अब बढ़ चला है। राज्य में अक्तूबर के आसपास विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच अब सीट बंटवारे पर टकराव गहराता दिख रहा है। हाल ही में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना ने यह कहते हुए चिपलून-संगमेश्वर विधानसभा पर अपना दावा ठोक दिया है कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में एनसीपी बाद में शामिल हुई है, इसलिए उस सीट पर उसका दावा नहीं बनता है।
शिंदे गुट के नेता और पूर्व विधायक सदानंद चव्हाण ने चिपलून संगमेश्वर सीट को लेकर यह बयान दिया है। बड़ी बात यह है कि 2019 के पिछले विधान सभा चुनाव में उस सीट से डिप्टी सीएम अजित पवार के खेमे वाली एनसीपी के शेखर निकम ने चुनाव जीता था। बावजूद इसके शिंदे के नेता इस पर अपना दावा ठोक रहे हैं। इससे राज्य की सत्ताधारी महायुति में सीट बंटवारे को लेकर टकराव की आशंका गहरा गई है।
सदानंद चव्हाण ने कहा कि हमारा बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था लेकिन बाद में एनसीपी भी उसमें शामिल हो गई। भले ही शेखर निकम वहां से विधायक हैं, लेकिन कार्यकर्ता चाहते हैं कि इस सीट पर शिवसेना का विधायक चुना जाए। उन्होंने इस बात की आशंकाओं को खारिज कर दिया कि चिपलून की सीट शिवसेना को नहीं मिलेगी। उन्होंने दो टूक कहा कि वह वहां से चुनाव लड़ने को इच्छुक हूं। बता दें कि चव्हाण वहां से पूर्व विधायक हैं। अगर सीट समझौते के मुताबिक ये सीट एनसीपी को मिल जाती है, तब भी एनसीपी विधायक शेखर निकम को चव्हाण की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
महाराष्ट्र के एनडीए गठबंधन में झगड़ा सिर्फ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच नहीं है। इससे पहले बीजेपी और शिवसेना के बीच भी कलह सामने आ चुकी है, जब लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को कम मतों के अंतर से रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र से जीत मिली। तब नारायण राणे के बेटे नीतेश राणे ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार में मंत्री उदय सामंत ने अपने इलाके में वोट ट्रांसफर नहीं करवाए। नारायण राणे ने 48 हजार वोटों से जीत हासिल कर शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार विनायक राउत को हराया था। राणे को उदय सामंत के क्षेत्र में बढ़त नहीं मिली थी। इसके बाद नीतेश राणे और उदय सामंत के बीच तकरार देखने को मिली थी।