Sunday, June 8, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home उत्तराखंड

देवभूमि के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को बचाए रखने उठाने होंगे जरुरी कदम

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
28/07/21
in उत्तराखंड, मुख्य खबर
देवभूमि के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को बचाए रखने उठाने होंगे जरुरी कदम

google image

Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

अजेंद्र अजयअजेंद्र अजय


किसी भी प्रदेश के निर्माण के पीछे उसके इतिहास, सभ्यता, संस्कृति, परंपरा, भाषा आदि के सरंक्षण की भावना छिपी होती है। अगर ये तत्व गायब हो जाएं तो वो प्रदेश आत्माविहीन माना जाएगा। लिहाजा, प्रदेश के भौतिक विकास के साथ-साथ इन सबके सरंक्षण की भी आवश्यकता है। वर्तमान में सोशल मीडिया में #उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून व #uk_needs_landlaw के साथ युवाओं द्वारा एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के पीछे यही मूल भावना छिपी हुई है।

यह सुखद आश्चर्य की बात है कि उत्तराखंड में भू -कानून जैसे गंभीर विषय पर युवाओं द्वारा अभियान शुरू किया गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि उत्तराखंड की युवा पीढ़ी भू -कानून को लेकर संवेदनशील है और वो अपनी जड़ों को बचाने के लिए पूरी तरह से जागरूक हैं। युवाशक्ति देवभूमि की सभ्यता, संस्कृति, परंपरा व इतिहास के सरंक्षण के लिए चिंतित है। निःसंदेह युवाशक्ति की इस सक्रियता का परिणाम सुखद ही होगा।

युवाशक्ति का यह अभियान सराहनीय है। मैं स्वयं इस विषय को लेकर चिंतित रहा हूं। वर्ष 2018 में मेरे द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री जी को इस विषय पर एक विस्तृत पत्र सौंपा गया था। पत्र में मेरे द्वारा देवभूमि उत्तराखंड के “वैशिष्ट्य” को कायम रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से पर्वतीय क्षेत्र को “विशेष क्षेत्र अधिसूचित” करने की मांग उठाई गई थी। पत्र में पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि इत्यादि के क्रय-विक्रय के लिए विशेष प्राविधान किए जाने और समुदाय विशेष के धर्म स्थलों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी उठाई गई थी। इस हेतु मेरे द्वारा एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का सुझाव दिया गया था, जो इस संबंध में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर नए कानून के प्रारूप को तैयार कर सके।

यह सर्वविदित है देवभूमि उत्तराखंड आदिकाल से अध्यात्म की धारा को प्रवाहित करती आई है। हिंदू धर्म व संस्कृति की पोषक माने जाने वाली गंगा व यमुना के इस मायके में संतों-महात्माओं के तप करने की अनगिनत गाथाएं भरी पड़ी हैं। ऋषि-मुनियों ने ध्यान व तप कर देश दुनिया को यहां से सनातन धर्म की महत्ता का संदेश दिया है। आज भी यहां विभिन्न रूपों में मौजूद उनकी स्मृतियों से दुनिया प्रेरणा प्राप्त करती है। यहां कदम-कदम पर मठ-मंदिर अवस्थित हैं, जिनका तमाम पौराणिक व धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। इससे उनकी प्राचीनता, ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता व सांस्कृतिक महत्व का पता चलता है।

इन अनगिनत देवालयों के अलावा यहां श्री बद्रीनाथ, श्री केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री जैसे विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी स्थित हैं, जो सदियों से हिंदू धर्मावलंबियों की आस्था के केंद्र रहे हैं। इस क्षेत्र के आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए पौराणिक समय से लेकर आधुनिक काल तक प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में साधक व श्रद्धालु हिमालय की कंदराओं का रुख करते आए हैं और यही कारण रहा कि यह क्षेत्र देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

बिगत कुछ वर्षों में पर्वतीय क्षेत्रों से रोजगार एवं अन्य कारणों से वहा के मूल निवासियों द्वारा व्यापक पैमाने पर पलायन किया गया। इसके विपरीत मैदानी क्षेत्रों से एक समुदाय विशेष ने विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के माध्यम से वहां पर अपनी आबादी में भारी बढ़ोतरी की है। यही नहीं कई बार मीडिया एवं अन्य माध्यमों में बांग्लादेशी व रोहिग्याओं द्वारा घुसपैठ किए जाने की चर्चा भी सुनाई देती है। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े होने के कारण ऐसी परिस्थितियां देश की सुरक्षा की दृष्टि से आशंकित करने वाली हैं। समुदाय विशेष द्वारा तमाम स्थानों पर गुपचुप ढंग से अपने धार्मिक स्थलों का निर्माण किए जाने की चर्चा भी समय-समय पर सुनाई देती हैं, इस कारण कई बार सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है।

बिना पहचान व सत्यापन के रह रहे लोगों के कारण आज पर्वतीय क्षेत्रों में अपराधों में वृद्धि हुई है। विगत समय में सतपुली, घनसाली, अगस्त्यमुनि आदि स्थानों पर हुई घटनाएं आंखें खोलने वाली हैं। इन घटनाक्रमों में पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों में तमाम तरह की आशंकाएं घर करने के साथ ही भारी आक्रोश भी व्याप्त है। इसके साथ ही “लव जिहाद” जैसी घटनाएं भी समय-समय पर सुनाई देने लगी हैं।

सामरिक दृष्टि से उत्तराखंड का यह हिमालयी क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों की विशिष्ट भाषाई व सांस्कृतिक पहचान रही है। अत्यंत संवेदनशील सीमा के निकट लगातार बदल रहा सामाजिक ताना-बाना आसन खतरे का कारण बन सकता है। उपरोक्त तथ्य राज्य में असम जैसी परिस्थितियों का कारक भी बन सकते हैं।

आदिकाल से सनातन धर्म की आस्था और हिंदू मान बिंदुओं की प्रेरणा रहे भूभाग की पवित्रता व उसके आध्यात्मिक, सांस्कृतिक स्वरूप को बरकरार रखने के लिए संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र को विशेष क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किया जाना आज समय की मांग है। समुदाय विशेष के धर्म स्थलों के निर्माण/स्थापना पर पूर्ण प्रतिबंध के साथ-साथ संपूर्ण पर्वतीय क्षेत्र में भूमि के क्रय-विक्रय के लिए विशेष प्राविधान आवश्यक है। भू-कानून के साथ-साथ भूमि कानूनों में सुधार, चकबंदी आदि जैसे विषयों पर भी ठोस उपाय किए जाने आवश्यक है। इस हेतु एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाए जो इस संबंध में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर नए कानून के प्रारूप को तैयार कर सके।


(लेखक राजनीतिक कार्यकर्ता व स्वतंत्र पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.