गौरव अवस्थी
लोक कवि हलधर नाग अब किसी पहचान को मोहताज नहीं हैं। उन्हें भारत सरकार का प्रतिष्ठित पद्म सम्मान ‘पद्मश्री’ सम्मान भी प्राप्त है पर ईश्वर प्रदत्त गुणों से उनकी पहचान इस सम्मान से बहुत बड़ी है। प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण न होने के बावजूद उन्हें अपने लिखे 20 महाकाव्य ज्यों के त्यों याद हैं।
ओडीशा की उप लोकभाषा कोसलपुरी में अपने साहित्य को रचने वाले हलधर नाग की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘लोक’ को पूरी तरह से समर्पित उनके महाकाव्यों को हिंदी भाषी समाज से परिचित कराने का गुरुतर दायित्व श्रेष्ठ अनुवादक एवं साहित्यकार श्री दिनेश कुमार माली ने उठा रखा है। अब तक वह हलधर नाग के साहित्य पर तीन अनुवादित पुस्तकें समाज को समर्पित कर चुके हैं।
कृष्ण चरित्र पर नए तर्क-नए भाव के साथ लिखे गए महाकाव्य को हिंदी में अनुवाद करके ‘प्रेम पहचान’ शीर्षक से नई पुस्तक हम सबके समक्ष प्रस्तुत करने का स्तुत्य कार्य श्रीमाली ने हाल ही में किया है।
‘प्रेम पहचान’ नाम से आई इस पुस्तक में अपनी सम्मति देने का अवसर श्रीमाली ने हमें प्रदान किया।हिंदी में अनुवाद होकर आई ‘प्रेम पहचान’ पुस्तक के कवर पेज पर हमारी समिति को श्रीमाली और प्रकाशक संस्था ने स्थान दिया है। आप भी इसका अवलोकन करिए। हमारी गुजारिश है कि इस पुस्तक को आप पढ़िए भी। हमें पूरा विश्वास है कि आप हलधार नाग के इस महाकाव्य को पढ़ते हुए एक नए अनुभव से गुजरेंगे। कृष्ण चरित्र को नए ढंग से देख और समझ पाएंगे।
श्री दिनेश माली जी एवं प्रकाशक संस्था को हृदय से आभार