नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस साल अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है और आज संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, संघ अपने कार्य के 100 वर्ष पूरे कर रहा है, ऐसे समय में उत्सुकता है कि संघ इस अवसर को किस रूप में देखता है. स्थापना के समय से ही संघ के लिए यह बात साफ रही है कि ऐसे अवसर उत्सव के लिए नहीं होते, बल्कि ये हमें आत्मचिंतन करने और अपने मकसद के लिए फिर से समर्पित होने का मौका देते हैं.
संघ के 100 वर्षों की इस यात्रा को लेकर दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, 100वर्षों की इस यात्रा के अवलोकन और विश्व शांति, समृद्धि के साथ सामंजस्यपूर्ण और एकजुट भारत के भविष्य का संकल्प लेने के लिए संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती से बेहतर कोई और मौका नहीं हो सकता, जो वर्ष प्रतिपदा यानि हिंदू कैलेंडर का पहला दिन है.
“डॉ. हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे”
आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को याद करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, डॉ. हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे. भारतभूमि के लिए उनका प्रेम और शुद्ध समर्पण बचपन से ही उनके कामों में दिखाई देता था. कोलकाता में अपनी मेडिकल की शिक्षा पूरी करने तक वे भारत को ब्रिटिश दासता से मुक्त कराने के लिए हो रहे सभी प्रयासों और क्रांति से लेकर सत्याग्रह तक से परिचित हो चुके थे.
डॉ. हेडगेवार का जिक्र करते हुए होसबाले ने कहा, उनका मानना था कि कुछ लोगों के नेतृत्व में सिर्फ राजनीतिक आंदोलनों से हमारे प्राचीन राष्ट्र की मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं होगा, इसलिए उन्होंने लोगों को राष्ट्रहित में जीने के लिए प्रशिक्षित करने के लिए लगातार कोशिश की और एक पद्धति तैयार करने का निर्णय किया.
संघ निर्माण में डॉ. हेडगेवार की अहम भूमिका
सरकार्यवाह ने कहा, समाज में संघ की स्वीकार्यता और अपेक्षाएं भी बढ़ रही हैं. यह सब डॉक्टर जी की दृष्टि की स्वीकार्यता का संकेत है. हिंदुत्व और राष्ट्र के विचार को समझाना आसान काम नहीं था क्योंकि उस काल के ज्यादातर अंग्रेजी शिक्षित बुद्धिजीवी राष्ट्रवाद की यूरोपीय अवधारणा से प्रभावित थे. डॉ. हेडगेवार के जीवनकाल में ही संघ का काम भारत के सभी हिस्सों में पहुंच गया था.
विभाजन का किया जिक्र
भारत को मिली स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, जब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई, दुर्भाग्यवश उसी समय भारत माता का मजहब के आधार पर विभाजन हो गया. ऐसी कठिन परिस्थिति में संघ के स्वयंसेवकों ने नए बने पाकिस्तान में बंटवारे का दंश झेल रहे हिंदुओं को बचाने और उन्हें सम्मान और गरिमा के साथ फिर से स्थापित करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया.
स्वयंसेवक क्या होते हैं इस पर बात करते हुए होसबाले ने कहा, स्वयंसेवक की अवधारणा समाज के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्य की भावना है, जो शिक्षा से लेकर काम और राजनीति जैसे क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी दिखा रही है.
आपातकाल का किया जिक्र
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आगे कहा, हिंदू समाज के सुधारवादी कदमों को तब नई गति मिली, जब भारत के सभी संप्रदायों ने इस बात का ऐलान किया कि किसी भी तरह के भेदभाव की धार्मिक मान्यता नहीं है. आपातकाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, आपातकाल के दौरान जब संविधान पर क्रूर हमला किया गया था, तब शांतिपूर्ण तरीके से लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष में संघ के स्वयंसेवकों ने अहम भूमिका निभाई. संघ ने शाखा की अवधारणा से आगे बढ़कर सेवा कार्य की तरफ कदम बढ़ाया और पिछले 99 वर्षों के दौरान महत्वपूर्ण प्रगति की है.
संघ का विजन
100 वर्ष पूरे होने के साथ ही संघ के विजन पर बात करते हुए होसबाले ने कहा, आगामी सालों में पंच परिवर्तन यानि पांच स्तरीय कार्यक्रम का आह्वान संघ कार्य का केंद्र बना रहेगा. शाखाओं का विस्तार करते हुए संघ ने नागरिक कर्तव्यों, पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली, सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे हर व्यक्ति देश को शिखर पर ले जाने में योगदान दे सके.