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कठोर व्रतों में एक है निर्जला एकादशी, इस बार क्यों है विशेष!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
10/06/24
in कला संस्कृति, धर्म दर्शन
कठोर व्रतों में एक है निर्जला एकादशी, इस बार क्यों है विशेष!
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नई दिल्ली : ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी, भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) या फिर भीम एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी के व्रत से साल में पड़ने वाली सभी एकादशी व्रतों का लाभ और पुण्य प्राप्त हो जाता है. इसलिए सभी एकादशी तिथि में निर्जला एकादशी को महत्वपूर्ण माना गया है.

बता दें कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा-उपासना के लिए समर्पित होती है. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत कई मायनों में खास रहने वाला है. क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बनने वाले हैं. इस शुभ योगों में किए पूजा-व्रत का लाभ मिलता है. बता दें कि ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी का व्रत इस वर्ष मंगलवार, 18 जून 2024 को रखा जाएगा.

कठोर व्रतों में एक है निर्जला एकादशी

वैसे तो सालभर में 24 और अधिकमास (Adhik Maas) होने पर 26 एकादशी तिथि पड़ती है. लेकिन निर्जला एकादशी को सबसे कठिन माना जाता है. क्योंकि इसमें एकादशी के दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी के सूर्योदय तक अन्न-जल ग्रहण करने की मनाही होती है.

शुभ योग में निर्जला एकादशी का व्रत और पारण
इस वर्ष निर्जला एकादशी की तिथि बहुत ही खास होने वाली है. क्योंकि व्रत के साथ ही पारण वाले दिन भी कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. निर्जला एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र रहेगा.

  • त्रिपुष्कर योग (Tripushkar Yog): 18 जून दोपहर 3 बजकर 56 मिनट से अगले दिन (19 जून) सुबह 5 बजकर 24 मिनट तक
  • शिव योग (Shiv Yog): सुबह से लेकर रात 09 बजकर 39 मिनट तक.
  • स्वाति नक्षत्र (Swati Nakshatra): दोपहर 3 बजकर 56 मिनट तक.

व्रत के साथ ही निर्जला एकादशी के पारण (Nirjala Ekadashi 2024 Paran) वाले दिन भी इस साल शुभ योग रहेगा. 19 जून को सुबह निर्जला एकादशी के पारण पर सर्वार्थ सिद्धि (Sarvartha Siddhi Yog), रवि (Ravi yog) और अमृत सिद्धि योग बनेगा. इस शुभ योगों में किए पारण से व्रत सफल होता है और अक्षय पुण्यफल की प्राप्ति होती है

निर्जला एकादशी महत्व

निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ के महीने में तब रखा जाता है जब प्रचंड गर्मी (Heat Wave) पड़ती है. इसलिए यह एकादशी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ ही जीवन में जल के महत्व को भी बताती है. पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वेद व्यास (Ved Vyasa) के कहने पर महाभारत (Mahabharat) के योद्धा भीम ने भी इस व्रत को रखा था. इसके बाद से ही इस एकादशी का नाम भीमसेनी एकादशी पड़ा.

निर्जला एकादशी व्रत के लाभ

  • यदि आप सालभर किसी कारण एकादशी का व्रत नहीं रखते तो केवल निर्जला एकादशी के व्रत से आपको सभी एकादशी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है.
  • निर्जला एकादशी के व्रत से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है और घर पर धन-धान्य का अभाव नहीं रहता. साथ ही जीवन परेशानियों से मुक्त रहता है.
  • दीर्घायु और मोक्ष प्राप्ति लिए इस व्रत को फलदायी माना जाता है. भीमसेन ने भी मोक्ष प्राप्ति के लिए निर्जला एकादशी का व्रत रखा था.

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