जबलपुर l मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ. लेकिन इस बार भी जबलपुर इंतजार ही करता रह गया. इस बार भी जबलपुर को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. मोदी कैबिनेट में मध्य प्रदेश को पर्याप्त तवज्जो मिली है. लेकिन जबलपुर संसदीय क्षेत्र एक बार फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल से अछूता रह गया.
1952 से आज तक
इस बार उम्मीद थी कि जबलपुर के सांसद राकेश सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. लेकिन यह इंतजार और लंबा हो गया है. इस बात का गम न केवल शहर वासियों को है बल्कि शहर के जनप्रतिनिधियों को भी है. खुद बीजेपी नेताओं को भी है. शहर के जनप्रतिनिधि खुलकर इस बात को कह भी रहे है. फिर चाहें वह सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के हो या फिर कांग्रेस के.
आज तक अछूता
केंद्रीय मंत्री ना मिल पाने का गम इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि जबलपुर संसदीय क्षेत्र के इतिहास में आज तक किसी भी सांसद को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. इसी वजह से जनप्रतिनिधियों का कहना है देश की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर जबलपुर आज भी पिछड़ा हुआ है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में जबलपुर सांसद को जगह ना मिल पाने का गम बीजेपी के नेताओं को भी है. जबलपुर कैंट से आने वाले बीजेपी विधायक अशोक रोहाणी का कहना है केंद्रीय मंत्रिमंडल में जबलपुर को जगह न मिल पाने का जहां दुख है, वही इस बात की खुशी भी है कि मध्य प्रदेश से का केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व बढ़ा है. जबलपुर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद आने वाले भविष्य में जरूर है.
कांग्रेस को भी अफसोस
कांग्रेस का कहना है केंद्र और राज्य सरकार के नक्शे पर जबलपुर कहीं आता ही नहीं है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार ने भी जबलपुर को कुछ नहीं दिया. वहीं केंद्र सरकार ने भी खाली हाथ रखा. पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने कहा जबलपुर सांसद कोई निष्क्रिय सांसद नहीं है. बल्कि सक्रिय सांसद हैं. ऐसे में उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल ना करना जबलपुर जनता का अपमान है.
खबर इनपुट एजेंसी से