नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 में नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के लिए कहीं फायदा तो कहीं नुकसान का सौदा साबित हो रहे हैं. नीतीश के साथ गठबंधन कर चुनाव से पहले बीजेपी ने बिहार में एनडीए गठबंधन मजबूत किया था, लेकिन अब पार्टी का यही फैसला उसके लिए मुश्किल पैदा कर रहा है.
राज्य में सीट शेयरिंग को लेकर काफी अनबन दिखाई दे रही है और अब गठबंधन पर इसका असर बढ़ने की खबरें हैं. पशुपति पारस मंत्रीपद से इस्तीफा दे चुके हैं और उपेंद्र कुशवाहा भी एक सीट मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं. नीतीश के गठबंधन में आने से एनडीए में सीट शेयरिंग के समीकरण बदले हैं और यही बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. गठबंधन के अन्य सहयोगी सीटों की संख्या कम होने से नाराज हैं. खुद बीजेपी को भी अपनी सीट संख्या में कटौती करनी पड़ी है.
एनडीए से अलग हो सकते हैं पशुपति पारस
पशुपति पारस ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वह एनडीए से भी नाता तोड़ सकते हैं. आरजेडी की तरफ से पशुपति पारस को न्योता दिया गया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पारस अगर पाला बदलते हैं तो लालू उन्हें हाजीपुर से चिराग के खिलाफ उतार सकते हैं. पशुपति पारस अभी हाजीपुर सीट से सांसद हैं. सीट बंटवारे में हाजीपुर की सीट चिराग पासवान के खाते में गई है और चिराग पासवान इस सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.
गठबंधन में टूट
चुनाव से ठीक पहले मोदी के हनुमान बनकर चिराग पासवान ने पांच सीटें हासिल कर ली और चाचा को एनडीए से बाहर जाने की तरफ मजबूर कर दिया. बिहार में करीब 5 से 6 फीसदी के बीच पासवान जाति के वोटर हैं, जिस पर रामविलास पासवान की शुरू से पकड़ रही है. इस वोट बैंक पर अब चिराग की पकड़ बन चुकी है. यही वजह है कि बीजेपी ने ऐन मौके पर चाचा को गच्चा दिया और भतीजे को हनुमान बनाकर बिहार में दलितों के नेता के तौर पर उतार दिया. यही फैसला गठबंधन टूटने की वजह बन सकता है.
उपेंद्र कुशवाहा भी नाराज
एनडीए में सीट बंटवारे के ऐलान के बाद उपेंद्र कुशवाहा भी नाराज हैं. दिल्ली में बैठक के बाद उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई शामिल नहीं हुआ था. वह मीडिया से न तो खुद बात कर रहे हैं और ना ही पार्टी के प्रवक्ताओं को बात करने को कहा है. इससे पहले 16 मार्च को उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी. सूत्र बताते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा जब एनडीए का हिस्सा बने थे तब उन्हें तीन सीटों पर तैयारी करने को कहा गया था. काराकाट, सीतामढ़ी और सुपौल सीटें कुशवाहा अपनी पार्टी के लिए चाह रहे थे. वह 2 सीटों पर भी संतुष्ट हो सकते थे, लेकिन नीतीश की एनडीए में एंट्री के बाद कुशवाहा का गणित फेल हो गया और सिर्फ उनके लिये काराकाट की सीट छोड़ी गई. खबर है कि बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े ने कुशवाहा के घर जाकर मुलाकात की और काराकाट लोकसभा सीट के साथ ही विधान परिषद की एक सीट देने का वादा किया है.
जेडीयू को भी हो रहा नुकसान
विपक्षी दलों के महागठबंधन में बिहार में अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है और नीतीश की पार्टी के नेताओं का कहना है कि सीट शेयरिंग पर I.N.D.I.A. गठबंधन में फूट पड़ेगी. जेडीयू भले ही महागठबंधन में सीट बंटवारा नहीं होने की बात कहकर खुद को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन असलियत ये है कि इस वक्त एनडीए में मामला ठीक नहीं है. दरभंगा और मधुबनी की सीट बीजेपी के खाते में जाने से नाराज होकर जेडीयू के महासचिव रहे पूर्व सांसद अली अशरफ फातमी ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया है.