नई दिल्ली: एशिया के सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी (Gautam Adani) की मुश्किलें बढ़ गई है। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अडानी समूह को लेकर बड़े खुलासे किए है। उन्होंने आरोप लगाया कि अडानी समूह के शेयर ओवरप्राइसड है। उन्होंने अडानी समूह के खातों में गड़बड़ी को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए है। इस खुलासे के बाद अडानी समूह के शेयरों में बिकवाली हावी है। अडानी समूह के शेयर लगातार गिर रहे है। मार्केट कैप में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। एक रिपोर्ट ने अडानी के मार्केट कैप में 5.5 लाख करोड़ ने अधिक का नुकसान पहुंचा दिया। ऐसे में ये जानना भी दिलचस्प है कि आखिर खुद उस कंपनी की कमाई कैसे होती है? हिंडनबर्ग की कमाई का जरिया क्या है? कैसे एक रिपोर्ट से ये रिसर्च फर्म अरबों की कमाई कर लेता है?
कैसे होती है हिंडनबर्ग की कमाई
हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है। वो एक इंवेस्टमेंट कंपनी भी है। कंपनी की प्रोफाइल के मुताबिक, ये रिसर्च फर्म एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है । अब शॉर्ट सेलर को समझने के लिए पहले समझते हैं कि शॉर्ट सेलिंग क्या होती है। कंपनी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वो एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर कंपनी है। हम आपको शॉर्ट सेलर समझाए उससे पहले आपको शार्ट सेलिंग क्या होता है उसे समझाते हैं। किसी शेयर को कम भाव में खरीदकर उसके चढ़ने पर ऊंचे भाव में बेचना, शेयर बाजार में कमाई का हिट फॉर्मूला माना जाता है। कारोबार की दुनिया में इसे लॉग पोजिशन कहते हैं। ये तरीका निवेशक तब अपनाते है, जब बाजार चढ़ने की संभावना होती है। इसके उलट जब मंदी या किसी कंपनी के शेयर में गिरावट का अंदेशा होता है तो शॉर्ट पोजिशन का तरीका अपनाया जाता है। यानी जब निवेशक को लगता है कि आने वाले दिनों में इस कंपनी के शेयर गिरेंगे और उससे फायदा होगा, तो वो शॉर्ट सेलिंग का तरीका अपनाते हैं। अब जो एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर होते हैं, वो निवेशकों को बार-बार समझाने की कोशिश करते हैं कि कंपनी ओवरवैल्यूड या कर्ज में डूबी है। जिस कंपनी पर शॉर्ट सेलर फोकस करते हैं, उसके बारे में बार-बार कर्ज और ओवर प्राइसिंग या गड़बड़ी की संभावना जताते हैं। कई बार उस कंपनी के शेयर धड़ाम हो जाते हैं और इसका मुनाफा इन शॉर्ट सेलिंग कंपनियों को होता है।
रिपोर्ट से करते हैं मोटी कमाई
हिंडनबर्ग भी इसी तरह से कमाई करते हैं। हिंडनबर्ग ने अमेरिका में अडानी कंपनी के बॉन्ड की शॉर्ट पोजिशन ली है और इसके बारे में उन्होंने खुद जानकारी दी है। हिंडनबर्ग ने अडानी के शेयरों की शॉर्ट पोजिशन लेने के बाद ये रिपोर्ट निकाली है। इसे उदाहरण के साथ अगर समझते हैं। मान लीजिए किसी शॉर्ट सेलर को उम्मीद है कि किसी शेयर के दाम गिरने वाले हैं तो बॅोकर से शेयर उधार लेकर इसे दूसरे निवेशकों को बेच देगा। इस महंगे और सस्ते के बीच का मुनाफा शॉर्ट सेलर को होगा।
पहले भी इन कंपनियों को कर चुका है कंगाल
अडानी पहली कंपनी नहीं है, जिसे लेकर हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट निकाली है। इससे पहले भी वो कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट जारी कर चुका है। ये कंपनी किसी भी कंपनी को टारगेट करके उसमें गड़बड़ियां निकालती है। इस रिपोर्ट के कारण जब कंपनी के शेयर गिर जाते हैं तो वो उसे खरीदकर ये प्रॉफिट कमाती है। हिंडनबर्ग के रिपोर्ट के कारण अडानी के शेयर 25 फीसदी तक गिर चुके हैं। अडानी समूह की निगेटिव रिपोर्ट से पहले भी हिंडनबर्ग कई कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट जारी कर चुका है। साल 2020 में करीब 16 रिपोर्ट जारी किए थे। इन रिपोर्ट के कारण कंपनियों के शेयरों में औसत तौर पर 15 फीसदी की गिरावट आई थी। हिंडनबर्ग ने Nikola, SCWORX , Genius Brand, Ideanomic , उसने विंस फाइनेंस, जीनियस ब्रांड्स, SC Wrox, एचएफ फूड, ब्लूम एनर्जी, Aphria, ट्विटर इंक जैसी कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट निकाले हैं।