नई दिल्ली। भू-कानून उल्लंघन के मामलों में अब छोटे प्रकरणों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। बिना अनुमति 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने वालों के खिलाफ नोटिस जारी किए जा रहे हैं। तय भूउपयोग से हटकर जमीनों का इस्तेमाल करने वाले भी अब प्रशासन के निशाने पर हैं। अभी तक पहले चरण में भू कानून उल्लंघन के बड़े मामलों में ही कार्रवाई की गई थी। इसमें कृषि, उद्यान, होटल, अस्पताल, स्कूल, कालेज, रिजॉर्ट के नाम पर खरीदी गई जमीनों का असल उपयोग न होने पर एक्शन लिया गया था। ऐसे 1000 के करीब मामलों में कार्रवाई चल रही है। अब सरकार ने भू-कानून उल्लंघन से जुड़े छोटे मामलों में भी कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके तहत बिना मंजूरी के 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने वालों के खिलाफ हर तहसील स्तर से नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
उत्तराखंड में नगर निकाय, कैंट बोर्ड सीमा से बाहर 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने पर प्रतिबंध है। 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने को जिला प्रशासन से लेकर शासन स्तर से मंजूरी लेनी होती है। जिला प्रशासन स्तर से दी जाने वाली मंजूरी की व्यवस्था अब नए भू कानून में समाप्त कर दी गई है। अब जिलाधिकारियों को जमीन खरीद मामलों में किसी भी तरह की मंजूरी देने का अधिकार नहीं है।
देहरादून सदर में ही 46 से अधिक नोटिस जारी
बिना मंजूरी 250 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीद के मामलों में जिलावार कार्रवाई तेज हो गई है। अकेले देहरादून सदर में ही 46 से अधिक नोटिस जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा विकासनगर, डोईवाला, ऋषिकेश तहसील क्षेत्र में भी कार्रवाई चल रही है। उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल, अल्मोड़ा में भी कार्रवाई तेज हो गई है। पहले चरण में 150 बीघा से अधिक जमीन सरकार में निहित हो चुकी है। 1000 से अधिक मामलों में केस दर्ज हुए हैं।
जिलों में सतर्कता बढ़ाई
विधानसभा से भू-कानून पास होने के बाद अब विधेयक राजभवन को भेजा जाएगा। ऐसे में नया भू कानून लागू होने से पहले कोई भी दूसरे राज्य का व्यक्ति भू कानून की कड़ी शर्तों से बचने को जमीन की खरीद फरोख्त न कर पाए, इसके लिए सभी सब रजिस्ट्रार कार्यालयों को रजिस्ट्री के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरने को कहा गया है। रजिस्ट्री के दौरान वर्ष 2003 से पहले राज्य में जमीन का दस्तावेज न देने वालों पर विशेष नजर जा रही है।