देहरादून : देश कोरोना महामारी से बेहाल है l इस वायरस के संक्रमण से मानव जाति का अस्तित्व संकट में है l इसलिए लोग इस संक्रमण से बचने घरों में कैद है l कल-कारखानें बंद है l यातायात पर लगाम लगी है l बाहर कहीं शोर-गुल नहीं है, चहुँ ओर शांति है l जिसे देख प्रकृति भी पल्लवित हो रही है l वातावरण में छाई गंदगी अब छट रही हैं l प्रकृति की फिजाओं में सुगंध घुल रही है l
प्रकृति में छाई व्याधि समाप्त हो रही है l इसके साथ गंगा के पानी की सेहत में भी सुधार हुआ है राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड के आकलन से इसकी पुष्टि हुई है। बोर्ड के एक आकलन के अनुसार देवप्रयाग से लेकर हरिद्वार में हरकी पैड़ी तक गंगा में हानिकारक जीवाणुओं की संख्या में कमी आई है तो गंदगी भी कम हुई है। बोर्ड का मानना है कि गंगा का पानी अब पानी क्लास ए का है और यहां के पानी को अब क्लोरीन के साथ पीने के उपयोग में लाया जा सकता है।
गौरतलब हो कि लॉकडाउन के बाद से ही यह कहा जा रहा था कि गंगा का पानी अब अधिक साफ और नीला दिखाई देने लगा है। गंगा तटों रहने वाले लोगों ने इसका अहसास भी किया है लेकिन अब बात की पुष्टि राज्य पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आकलन से हो गई है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक हर की पैड़ी में बायो ऑक्सीजन डिमांड करीब 20 प्रतिशत कम हुई है। इसका मतलब यह भी है कि यहां जीवाणुओं को अब जैविक कणों को तोड़ने के लिए बीस प्रतिशत कम ऑक्सीजन की जरूरत हो रही है।
वहीं दूसरी ओर राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड को इस अध्ययन में पता चला है कि गंगा के पानी में देवप्रयाग से लेकर हरकी पैड़ी तक हानिकारक जीवाणु (कोलीफार्म बैक्टीरिया) काफी कम हुआ है। वहीं हरकी पैड़ी में जहां यह जीवाणु की उपस्थिति मार्च 2020 में 26 प्रतिशत थी जो अब घटकर 17 प्रतिशत रह गई है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण बोर्ड को लक्ष्मणझूला ऋषिकेश क्षेत्र में कोलीफार्म बैक्टीरिया में करीब 47 प्रतिशत की कमी मिली है। इस पर बोर्ड का मानना है कि यहां अब पानी क्लास ”ए” का है। इसके बाद अब यहां के पानी को क्लोरीन के साथ पीने के उपयोग में लाया जा सकता है।