नई दिल्ली: अब तक शांत बैठा भारत आखिरकार पहली बार ट्रंप की टैक्स पॉलिसी के खिलाफ Retaliate कर रहा है. खबर है कि भारत ने अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन (WTO) को सौंपा है. माना जा रहा है कि यह कदम अमेरिका द्वारा मार्च 2024 में स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के जवाब में उठाया गया है.
किन प्रोडक्ट्स पर लगेगा अतिरिक्त टैरिफ
WTO को भेजे गए 12 मई के दस्तावेज में स्पष्ट किया गया है कि “प्रस्तावित रियायतों का निलंबन या अन्य दायित्व अमेरिका से आने वाले चुनिंदा उत्पादों पर टैरिफ वृद्धि के रूप में होगा.” हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं किया गया है कि किन खास उत्पादों पर यह टैरिफ लागू होगा.
अमेरिका ने मार्च में भारत समेत अन्य देशों से आयातित स्टील और एल्यूमिनियम पर 25 फीसदी टैरिफ लागू किया था. यह टैरिफ 2018 में डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में शुरू की गई नीति का विस्तार है. इस कदम से भारत जैसे बड़े स्टील उत्पादक देश पर सीधा असर पड़ा है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा स्टील उत्पादक देश है.
अरबों के उत्पाद पर असर
भारत ने अपने दस्तावेज़ में कहा है कि अमेरिका के इस फैसले से करीब 7.6 बिलियन डॉलर के भारत-निर्मित उत्पादों पर असर पड़ा है, जो अमेरिका में निर्यात किए जाते हैं. इसके साथ ही, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 26 फीसदी तक का रेसिप्रोकल टैक्स लगाने की भी बात की है.
चल रही ट्रेड डील की बातचीत
टैरिफ युद्ध के इस माहौल के बीच, भारत और अमेरिका एक व्यापक ट्रेड डील को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में भी हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के अंत तक दोनों देश एक समझौते तक पहुंच सकते हैं. भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिका के साथ अपने टैरिफ गैप को दो-तिहाई तक कम करने को तैयार है.
क्या यह कदम बातचीत पर असर डालेगा?
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए एक ट्रेड एक्सपर्ट ने कहा कि यह जवाबी कार्रवाई ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका एक व्यापक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं. ऐसे में भारत द्वारा यह पलटवार बातचीत की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है.
भारत भी उठा रहा है आंतरिक कदम
भारत केवल जवाबी टैरिफ ही नहीं लगा रहा, बल्कि वह अपने घरेलू उद्योग को भी संरक्षण दे रहा है. पिछले महीने भारत ने चीन से आने वाले सस्ते स्टील के आयात को रोकने के लिए 12 फीसदी का अस्थायी टैरिफ भी लगाया था. इसका उद्देश्य घरेलू सप्लाई को संतुलित करना और स्टील उद्योग की रक्षा करना है.