नई दिल्ली: नई सरकार के गठन से पहले सड़क परिवहन मंत्रालय ने विजन-2047 के मास्टर प्लान में देश में नए सुपर एक्सप्रेस-वे बनाने का खाका तैयार किया है। इनकी अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। इसके अलावा मास्टर प्लान में देश के पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण भाग में जाने के लिए एक्सेस कंट्रोल हाई स्पीड कॉरिडोर का जाल बिछाया जाएगा।
इससे सड़क यात्रियों के सफर में 45-50 फीसदी और निर्बाध यातायात मिलने से ईंधन की खपत में 35-40 फीसदी की बचत होगी। इनकी विशेषता यह होगी कि नए सुपर एक्सप्रेस-वे और एक्सेस कंट्रोल कॉरिडोर टोल प्लाजा मुक्त होंगे एवं जीपीएस आधारित टोल टैक्स वसूली होगी।
सड़क परिवहन मंत्रालय के विजन-2047 के मास्टर प्लान के दस्तावेज की कॉपी ‘हिन्दुस्तान’ के पास है। मास्टर प्लान में सिर्फ चार लेन, छह लेन, आठ लेन और 10 लेन के एक्सेस कंट्रोल हाई स्पीड कॉरिडोर और सु्पर एक्सप्रेस-वे बनाने का प्रवाधान है।
सुपर एक्सप्रेस-वे पर अधिकतम रफ्तार 120 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी और हाई स्पीड कॉरिडोर पर वाहन अधिकतम 100 किलोमीटर की रफ्तार से फर्राटा भर सकेंगे, जिससे एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की औसतन रफ्तार लगभग 90 से 100 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी, जबकि कॉरिडोर पर लगभग 70 से 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार हासिल की जा सकेगी।
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड जैसे राज्यों को मिलेगा फायदा
मंत्रालय के मुताबिक, एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई 90-100 मीटर और कॉरिडोर की चौड़ाई 70 मीटर होगी। हाई स्पीड कॉरिडोर के एलाइनमेंट इस प्रकार रखे जाएंगे, जिससे 200-200 किलोमीटर के ग्रिड बन जाएं। इससे सड़क यात्री देश के किसी भी शहर से 100-130 किलोमीटर की दूरी तय कर उक्त हाई स्पीड कॉरिडोर पर लंबी दूरी का सफर तय कर सकें।
इसका विशेष फायदा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों के सुदूर क्षेत्र के निवासियों को होगा। हाई स्पीड कॉरिडोर और एक्सप्रेस-वे पर 40-60 किलोमीटर की दूरी पर यात्री सुविधा केंद्र होंगे, जहां पेट्रोल पंप, सीएनजी पंप, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, फूड प्लाजा, बजट होटल, कॉमर्शियल कॉप्लेक्स आदि होंगे।
19 लाख करोड़ रुपये की लागत का अनुमान
वर्तमान में देशभर में चार हजार किलोमीटर हाई स्पीड कॉरिडोर हैं, जबकि छह हजार किलोमीटर हाई स्पीड कॉरिडोर निर्माणाधीन हैं। मास्टर प्लान में वर्ष 2037 तक 49 हजार किलोमीटर से अधिक हाई स्पीड कॉरिडोर (सुपर एक्सप्रेस-वे सहित) बनाने का लक्ष्य रखा गया है। मास्टर प्लान में देशभर में सुपर एक्सप्रेस-वे और हाई स्पीड कॉरिडोर निर्माण के लिए 19 लाख करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया है।