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अब औने-पौने दाम नहीं बिकेंगे प्रोडक्ट, खत्म होगी Quick Commerce की ‘जीरो-प्राइसिंग’

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
09/05/25
in राष्ट्रीय, व्यापार, समाचार
अब औने-पौने दाम नहीं बिकेंगे प्रोडक्ट, खत्म होगी Quick Commerce की ‘जीरो-प्राइसिंग’
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नई दिल्ली: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने ई-कॉमर्स (E-Commerce) और क्विक-कॉमर्स (Quick Commerce) सेक्टरों में अनुचित मूल्य निर्धारण से निपटने के लिए नए नियम लागू किए हैं. इन नियमों का उद्देश्य बड़े ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म की ओर से अपनाई जाने वाली ‘जीरो-प्राइसिंग’ जैसी नीतियों के संबंध में बढ़ती चिंताओं पर अंकुश लगाना है.

नए फ्रेमवर्क के तहत 2009 के मौजूदा लागत नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. इसमें सभी सेक्टरों में गैर-प्रतिस्पर्धी कीमतों का आकलन करने के लिए एक स्पष्ट कार्यप्रणाली दी गई है. नए नियम 7 मई से लागू हो चुके हैं. नए नियमों के तहत अनुचित कीमत की पहचान के लिए औसत परिवर्तनीय लागत को प्राइमरी बेंचमार्क माना जाएगा.

हालांकि, सीसीआई के पास वैकल्पिक लागत उपायों का उपयोग करने का विवेकाधिकार रहेगा, जिसमें औसत कुल लागत, औसत टालने योग्य लागत या दीर्घकालिक औसत वृद्धिशील लागत शामिल हैं और इनका निर्धारण उद्योग की विशिष्टताओं और मामले की जटिलताओं पर निर्भर करता है.

जांच प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जांच के दायरे में आने वाली कंपनियों को अब अपने खर्च पर स्वतंत्र विशेषज्ञों की मदद लेकर लागत आकलन को चुनौती देने का अधिकार होगा. यह कदम आक्रामक मूल्य निर्धारण रणनीतियों पर नियामकीय निगरानी बढ़ाने का संकेत देता है. इससे छोटी कंपनियों को भी बड़ी कंपनियों की तरह अपने उत्पादों को उपभोक्ताओं के सामने रखने के लिए समान अवसर मिलेंगे.

ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) ने प्रतिस्पर्धा नियामक के समाने एक याचिका दायर कर प्रमुख ई-कॉमर्स और क्विक-कॉमर्स प्लेटफार्मों की मूल्य निर्धारण रणनीतियों की जांच की मांग की थी. एआईसीपीडीएफ ने याचिका में आरोप लगाया था कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म भारी छूट आदि के जरिए अनुचित मूल्य निर्धारण प्रथाओं में लिप्त हैं.

प्रमुख डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबल डाटा के अनुसार, भारत में क्विक कॉमर्स तेजी से आगे बढ़ रहा है साथ ही शहरी आबादी दैनिक आवश्यकताओं के लिए तेजी से डिलीवरी सेवाओं निर्भरता बढ़ा रही है. जैसे-जैसे उपभोक्ता इंस्टेंट एक्सेस और समय बचाने वाली सेवाओं पर भरोसा कर रहे हैं, क्विक कॉमर्स विकल्पों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे देश में उनका तेजी से विस्तार हो रहा है.

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