नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में बढ़ोतरी देखने को मिली है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सरकार घुसपैठ को विफल करने के लिए पाकिस्तान के साथ लग रहे अपने बॉर्डर पर एक इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम को तैनात कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस सिस्टम में ह्यूमन डिटेक्शन रडार, थर्मल इमेजिंग और हाई रिजॉल्यूशन कैमरे और सुरंगों का पता लगाने के लिए सिस्मिक सेंसर शामिल है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इनमें से कुछ सिस्टम पहले ही कुछ हिस्सों में लगाए जा चुके हैं। वहीं, पाकिस्तान के साथ बॉर्डर पर कुछ कमजोरियों से निपटने के लिए कुछ हाई टेक इक्विपमेंट और सिक्योरिटी सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रोजेक्ट में लगे अधिकारियों के अनुसार, कैमरों और कमांड व कंट्रोल सिस्टम से ह्यूमन डिटेक्शन रडार काफी असरदार साबित हो रहे हैं। बॉर्डर पर निगरानी के लिए माइक्रो-डॉपलर रडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। कैमरों और दूसरी तरह के सेंसरों की तुलना में इनमें ज्यादा फायदा है।
हर मौसम में रडार का इस्तेमाल
एक अधिकारी ने कहा, ‘रडार का इस्तेमाल हर मौसम में किया जा सकता है। धुंध भरे वातावरण और बारिश में कैमरे काम नहीं करते, लेकिन रडार एकदम सही संकेत देते हैं।’ इसके अलावा बेसिक बॉर्डर सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि बाड़ को मजबूत किया जा रहा है। हर 270 मीटर पर फ्लडलाइट और वॉच-टॉवर हैं। नदी के किनारे के इलाकों में बाड़ लगाई गई है और दोनों तरफ वॉच-टॉवर बनाए गए हैं। इस इलाके में गश्त करने के लिए एक सिस्टम बनाया गया है।
सुरंगों का भी पता लगाया जा सकेगा
सुरंगों का पता लगाने के लिए सिस्मिक सेंसरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अक्सर आतंकी पाकिस्तान से भारत में घुसने के लिए सुरंगों का ही इस्तेमाल करते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘ये इक्विपमेंट अंडरग्राउंड वेव भेजते हैं ताकि पता लगाया जा सके कि धरती के अंदर कोई दरार या होल है या नहीं। एक सॉफ्टवेयर इनकी पहचान करता है। फिर सुरक्षा बल यह देखने के लिए जगह खोदते हैं कि कहीं कोई सुरंग तो नहीं है।’ हाल ही में मिली सुरंगों से पता चला है कि सुरंगों का पता लगाने वाली तकनीक से बचने के लिए इन्हें 20 फीट तक जमीन के अंदर खोदा जा रहा था। इसलिए सुरक्षा बलों ने संवेदनशील इलाकों में 20 फीट तक गहरी खाइयां खोदना शुरू कर दिया है।
CIBMS की भारत-पाकिस्तान बॉर्डर और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर लगभग 71 किलोमीटर को कवर करने वाली दो पायलट परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार, सीआईबीएमएस में थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रा-रेड और लेजर-बेस्ड इंट्रूडर अलार्म, एरियल सर्विलांस के लिए एयरोस्टेट, घुसपैठ की कोशिशों का पता लगाने में मदद करने वाले अनअटेंडेड ग्राउंड सेंसर, रडार, फाइबर-ऑप्टिक सेंसर और एक कमांड और कंट्रोल सिस्टम शामिल है। सरकार ने असम के धुबरी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीआईबीएमएस के तहत बोल्ड-क्यूआईटी टेक्निक भी शुरू की है। ऐसा इसलिए क्योंकि बॉर्डर पर बाड़ लगाना संभव नहीं है।