नई दिल्ली : अगले महीने यानी फरवरी में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मोदी सरकार बजट पेश करेगी। इस दौरान कई अहम घोषणाएं हो सकती है। इसमें बैंक प्राइवेटाइजेशन को लेकर भी चर्चा चल रही है। इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि कुछ एक बैंक को छोड़कर लगभग सभी बैंक प्राइवेटाइज हो जाएंगे। बकायदा प्राइवेटाज होने वाले बैंकों की लिस्ट भी वायरल हो रही है। हालांकि, इस खबर और लिस्ट को लेकर अब नीति आयोग ने सफाई दी है। आयोग ने इस तरह की खबरों को निराधार बताया है।
नीति आयोग ने क्या कहा?
पब्लिक सेक्टर के बैंकों के निजीकरण पर मीडिया द्वारा शेयर की गई लिस्ट को नीति आयोग ने फर्जी बताया है। नीति आयोग ने कहा कि अब तक किसी भी रूप में ऐसी कोई लिस्ट शेयर नहीं की गई है। मीडिया में मनगढ़ंत संदेश प्रसारित किया जा रहा है। बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था कि देश के कुछ सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जैसे कि पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), केनरा बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का प्राइवेटाइजेशन किया जा सकता है।
बजट 2021 में किया गया था ऐलान
सरकार ने 19 दिसंबर को स्पष्ट किया कि वह संबंधित विभाग और नियामक से परामर्श के बाद ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के निजीकरण पर विचार करेगी। असल में, अप्रैल 2021 में नीति आयोग ने वित्त मंत्रालय से विचार-विमर्श के बाद निजीकरण करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के नामों को अंतिम रूप देने के लिए विचार-विमर्श शुरू किया था। सरकारी थिंक-टैंक को दो सार्वजनिक क्षेत्र के नामों का चयन करने का काम सौंपा गया था। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल अपने बजट भाषण में दो सरकारी बैंक और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की बात कही थी।