कानपुर। जूही यार्ड में हत्थे से बदली जाने वाली 16 पटरियां अब माउस के एक क्लिक से बदलेंगीं। वहीं गोविंदपुरी और भीमसेन के बीच लगाया गया सिग्नल स्टेशन के रूप में कार्य करेगा। जूही यार्ड में भारतीय रेल की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक इंटरलाकिंग (ईआइ) स्थापित होने से यह संभव हुआ है।
वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक एसके गौतम ने बताया कि अब तक हत्थे से जूही यार्ड से लखनऊ, झांसी, मुगलसराय जाने वाली मालगाड़ियों की पटरियां बदली जाती थीं। इससे गाड़ी के डिरेल होने का खतरा बना रहता था ,लेकिन अब ईआइ स्थापित होने से खतरा पूरी तरह से खत्म हो गया है। वहीं गोविंदपुरी से जब तक ट्रेन भीमसेन नहीं पहुंच जाती थी तब तक दूसरी ट्रेन को हरी झंडी नहीं मिलती थी। यहां बीच में एक सिग्नल लगा दिया गया है। स्टेशन के रूप में कार्य करने वाले इस सिग्नल को पार करते ही गोविंदपुरी से दूसरी ट्रेन रवाना हो जाएगी। इससे समय की काफी बचत होगी।
90 वर्ष पुरानी तकनीक बदली
ईआइ यार्ड जूही के ए एंड बी केबिन की 90 साल पुरानी यांत्रिक प्रणाली को हटा कर स्टैंडर्ड-1 से स्टैंडर्ड- 3 इंटरलाकिंग में अपग्रेड किया गया है। इसमें 59 नई प्वाइंट मशीन, 42 मुख्य सिग्नल, 51 शंट सिग्नल, 84 डीपी एक्सल काउंटर और 92 डीसी ट्रैक सर्किट लगाए गए हैं।
कई जगहों की कनेक्टिविटी का एक स्थान जूही यार्ड
जूही यार्ड में नान-स्टाप ट्रेनों का परिचालन, गोविंदपुरी में मेल/एक्सप्रेस/यात्री ट्रेनों का ठहराव, लोको शेड से इंजन का आगमन-प्रस्थान, पूर्व में कानपुर सेंट्रल और लोको केबिन, पश्चिम में पनकी व भीमसेन और उत्तर में कानपुर-अनवरगंज से कनेक्टिविटी की सुविधा जूही यार्ड से ही मिलती है। यह यार्ड मालगाड़ी की जांच, वैगन वर्कशाप और कानकार टर्मिनल से भी संपर्क प्रदान करता है।
एनसीआर का सबसे बड़ा कंट्रोल सेंटर
जूही मुख्य केबिन (699 रूटों ) के मौजूदा ईआइ के साथ नेटवर्क किया गया है । यहां लगे दो ईआइ 39 रनिंग लाइन, पांच अलग-अलग दिशाओं से मल्टीपल लाइन पर यातायात और आधा दर्जन से ज्यादा साइडिंग को कंट्रोल करते हैं। यह उत्तर मध्य रेलवे का सबसे बड़ा आपरेशन कंट्रोल सेंटर है।