नई दिल्ली : शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने गुरुवार को शाम अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी. माना जा रहा है कि अब यूपी में निकाय चुनाव होने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.
मुख्यमंत्री अब इस रिपोर्ट को कैबिनेट के सामने रखेंगे और फिर यह रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय के सामने पेश कर चुनाव की परमिशन मांगी जाएगी.
रिपोर्ट की सिफारिशें मानने के बाद हो सकते हैं ये बदलाव
जानकारों का मानना है कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जो सामान्य वर्ग की कुछ सीटें नई आरक्षण प्रक्रिया के तहत ओबीसी या अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो सकती हैं.
राज्य में निकाय चुनाव में महिलाओं के लिए भी आरक्षण लागू हैं. महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को भी सामान्य, अनुसूचित या ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछड़ा वर्ग आयोग ने निकायवार जनसंख्या के आधार पर पिछड़ा वर्ग आरक्षण लागू करने की सिफारिश की है.
राज्यपाल की मंजूरी के बाद आयोग का गठन
बता दें पांच सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने की. इस आयोग के अन्य चार सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शदाता संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं. आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद की गई थी.
इस आयोग का गठन पिछले साल के आखिर में ऐसे समय में किया गया था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर दिया था और ओबीसी को बगैर आरक्षण दिए स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का आदेश आने के बाद कहा था कि ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर शहरी स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होंगे और राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए एक आयोग गठित करेगी.