उज्जैन : मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के एक मामले की सुनवाई करते हुए लोकायुक्त कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. इस मामले में कोर्ट ने दो साल पहले मर चुके एक डिप्टी कलेक्टर की पत्नी, बेटी, दामाद और समधन की संपत्तियां जब्त करने के आदेश दिए हैं. लोकायुक्त पुलिस ने साल 2011 में तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर के ठिकानों पर रेड किया था. इस दौरान उनकी कमाई से 357 गुना अधिक संपत्ति मिलने पर लोकायुक्त कोर्ट में चार्जशीट फाइल की थी. मध्य प्रदेश के उज्जैन के इस मामले में विशेष न्यायालय इंदौर की अदालत ने यह फैसला दिया है.
लोकायुक्त पुलिस की ओर से अदालत में पेश केस डायरी के मुताबिक 21 जुलाई 2011 को डिप्टी कलेक्टर के ठिकानों पर रेड हुई थी. इस दौरान तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर के पास उनकी कमाई से 356.96 प्रतिशत अधिक संपत्ति मिली थी. जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक इस मामले में लोकायुक्त पुलिस की ओर से पेश चार्जशीट पर शनिवार को मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय सुनवाई हुई. इसमें अदालत ने तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी निवासी वैशाली नगर, मंगल कालोनी उज्जैन, उनकी पत्नी सुषमा, पुत्रियां अंजली, सोनालिका, प्रीती, सरिता, प्रमिला एवं सोनालिका की सास रेखा वर्माउसके पति अजय वर्मा के खिलाफ आदेश जारी किया है.
बेटी दामाद की संपत्तियों से होगी रिकवरी
इस आदेश के तहत इनकी चल-अचल संपत्तियों एवं बीमा पॉलिसियों से पूरी राशि की वसूली की जाएगी. उन्होंने बताया कि लोकायुक्त संगठन उज्जैन की ओर से डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था. इसमें कुल 1 करोड़ 77 लाख 55 हजार 751 रुपये की रकम पर सवाल उठाए गए थे. दावा किया गया था कि यह उनकी काली कमाई है. इस मामले की जांच डीएसपी ओपी सागोरिया ने की. इसमें शिकायत सही पायी गई. इसमें पाया गया कि डिप्टी कलेक्टर ने अपनी अवैध कमाई से खुद के नाम से संपत्ति तो बनाई ही, अपनी पत्नी एवं बेटियों के नाम मकान, प्लाट, गाड़ी आदि खरीदे.
कोविड के दौरान हुई थी मौत
केस डायरी के मुताबिक डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ यह जांच एक जनवरी 2002 से शुरू होकर 21 जुलाई 2011 तक चली. जांच पूरी होने के बाद उनके खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया गया था. बता दें कि डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी की प्रथम नियुक्ति बतौर निम्न श्रेणी लिपिक 19 नवंबर 1975 को तराना में हुई थी. उसके बाद वह विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर नायब तहसीलदार, तहसीलदार एवं डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नत हुए. इसी अवधि में उन्होंने यह अवैध संपत्ति हासिल की. हालांकि मामले की सुनवाई के दौरान कोविड पीरियड में उनका देहांत भी हो गया.