भोपाल : लंबे समय बाद खुली शिक्षक भर्ती में जटिल प्रक्रिया अभ्यार्थियों के लिए परेशानी बनी हुई है। बीते दिनों हुई माध्यमिक, हाईस्कूल शिक्षक भर्ती वर्ग-1, 2 की काउंसलिंग में उम्मीदवारों को जाति प्रमाण-पत्र के लिए खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। दरअसल, विभाग तीन साल से पहले का जाति-प्रमाण पत्र मान्य नहीं कर रहा। जब उम्मीदवार एसडीएम ऑफिस में नया बनाने पहुंच रहे हैं तो उन्हें लौटाया जा रहा है कि एक बार डिजिटल बनने के बाद बार-बार जाति का प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जाता। कुल मिलाकर उम्मीदवार को परेशान किया जा रहा है। इससे उनकी परेशानी बढ़ गई है। शिक्षा विभाग के अपने तर्क हैं और राजस्व विभाग के अपने। ये झंझटें शिक्षक बनने की राह में बाधा बन रही हैं।
अन्य राज्यों की दुल्हन यहां जनरल
माध्यमिक और हाइ स्कूल सीधी शिक्षा भर्ती के लिए आरक्षण का नियम भी अलग ही है। इसमें अन्य राज्यों से ब्याह कर जिले में आई बहुओं के साथ भी परेशानियां हैं। यानि भले ही अन्य राज्य में वे एसी, एसटी और ओबीसी क्यों न हो, लेकिन उन्हें यहां सामान्य कैटेगिरी में माना जाएगा। माचलपुर से लगे डूंगरी गांव में रहने वालीं कुंती-अनिल पाटीदार बताती हैं कि मेरी ओबीसी के हिसाब से काफी बेहतर रैंकिंग है। राजस्थान में मेरा ओबीसी का सर्टिफिकेट है लेकिन यहां मान्य नहीं किया जा रहा।
राजगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी बीएस बिसारिया बताते हैं कि जो अन्य राज्यों के उम्मीदवार हैं उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, साथ ही मप्र के विभिन्न वर्ग के उम्मीदवार को तीन साल के बाद वाला ही जाति प्रमाण पत्र देना होगा। इसमें दिक्कत आई तो हमने लोक शिक्षण संचनालय में बात की, जिसमें वर्तमान का आय का प्रमाण-पत्र भी चल सकता है।
मान्य नहीं कर रहे पुराने जाति प्रमाण पत्र
जीरापुर क्षेत्र के पीपल्या कुल्मी निवासी पंकज कारपेंटर बताते हैं कि मेरा चयन माध्यमिक शिक्षक वर्ग-2 के लिए हुआ है। इसकी काउंसलिंग के लिए जब शिक्षा विभाग में पहुंचा तो वहां पुराने जाति प्रमाण-पत्र को लेने से इनकार कर दिया और नया लाने को कहा। जब हम एसडीएम ऑफिस गए, पूरी प्रक्रिया की तो बताया गया कि यह डिजिटल होता है, नया बनता ही नहीं है। इससे काफी परेशानी हुई। बाद में डीइओ सर ने कहा कि वर्तमान का आय प्रमाण पत्र दे दें। हमने दे दिया लेकिन अभी कुछ तय नहीं हैं।