मनोज रौतेला की रिपोर्ट :
ऋषिकेश : आज विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर एसपीएस राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में चिकित्सकीय उपकरणों की पूजा की गई तथा भगवान विश्वकर्मा को याद किया गया। इसके अंतर्गत चिकित्सालय के ऑपरेशन थिएटर एवं आईसीयू विभाग में डा.विजयेश भारद्वाज मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा विधिवत पूजन किया गया। साथ ही हॉस्पिटल के समस्त स्टाफ इस दौरान रहा मौजूद…सभी ने पूजा कर, आरती करने के बाद मिठाई बांटी गयी.
डा.विजयेश भारद्वाज मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पूजा करते हुए
क्योँ करते हैं विश्कर्मा पूजा ?
भगवान विश्कर्मा की पूजा कर उन्हें सृजन के लिए धन्यवाद दिया जाता है. भगवान विश्कर्मा की पूजा से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और आने वाली सभी समस्याएं और रुकावटें दूर होती हैं. कहा जाता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन कल कारखानों में पूजा करने से कारोबार बढ़ता है और कभी आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ। पुराणों में कहीं योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति की बहन का लिखा है।विश्वकर्मा ब्राह्मण जाति से भी संपर्क रखते है विश्वकर्मा पुराण के मुताबिक विश्वकर्मा जन्मों ब्राह्मण: मतलब ये जन्म से ही ब्राह्मण होते । इसे कई जातियों के लोग प्रयोग में लाते हैं जैसे कि पांचाल राजपूत , धीमान, लोहार, शिल्पकार, करमकार इत्यादि और इन जातियों के लोग विश्वकर्मा को अपना इष्टदेवता मानते हैं।
विश्वकर्मा |
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पिता |
वास्तुदेव |
माता |
अंगिरसी |
संतान |
पाँच पुत्र- मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ हैं। |
रंग-रूप |
भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप बताए जाते हैं। उन्हें कहीं पर दो बाहु, कहीं चार, कहीं पर दस बाहुओं तथा एक मुख, और कहीं पर चार मुख व पंचमुखों के साथ भी दिखाया गया है। |