नई दिल्ली: देश का बजट पेश हो चुका है। NDA नेताओं ने जहां बजट को अच्छा बताया तो वहीं विपक्ष ने बजट की आलोचना की। इस बजट को गरीब, किसान और मिडिल क्लास विरोधी बताया। बुधवार को वित्त मंत्री का राज्यसभा में भाषण था। इस दौरान वित्त मंत्री विपक्ष की एक बात पर भड़क गईं। हुआ कुछ यूं कि मंगलवार को बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री ने बिहार और आंध्र प्रदेश को कई सौगाते दीं। बजट में वित्त मंत्री बार-बार बिहार और आंध्र प्रदेश का नाम ले रही थीं। विपक्ष को यह रास नहीं आया। बुधवार को राज्यसभा में भाषण के दौरान विपक्ष बार-बार बिहार और आंध्र प्रदेश का नाम लेकर सवाल खड़े कर रहा था। इस दौरान वित्त मंत्री भड़क गईं और कहा कि बजट में सभी राज्यों के नाम लेना संभव नहीं है।
बुधवार को राज्यसभा विपक्ष ने आरोप लगाया कि बजट के साथ भेदभाव किया गया है। इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में सभी राज्यों का नाम लेना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर बजट भाषण में किसी राज्य का नाम नहीं लिया जाता है तो इसका मतलब यह नहीं हुआ कि उस राज्य के साथ भेदभाव किया जा रहा है। वित्त मंत्री ने विपक्ष पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने झूठ फैलाया है कि हमारे राज्यों को कुछ नहीं दिया गया। उन्होंने इसे अपमानजनक आरोप बताया। हालांकि इसके बाद विपक्ष के नेता सदन से बाहर चले गए।
महाराष्ट्र की योजना का दिया हवाला
राज्यसभा में जिस समय विपक्ष की ओर से दूसरे राज्यों को उपेक्षित करने का आरोप लगाया जा रहा था, उसी समय वित्त मंत्री ने महाराष्ट्र का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने महाराष्ट्र के वडावन में बंदरगाह बनाने का फैसला किया था लेकिन कल बजट में महाराष्ट्र का नाम नहीं लिया गया। वित्त मंत्री ने विपक्ष से सवाल किया कि क्या इसका मतलब यह है कि महाराष्ट्र उपेक्षित महसूस करे?
बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को कई सौगातें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश को कई सौगाते दी हैं। बिहार को विभिन्न परियोजनाओं के लिए 26 हजार करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया है। बिहार में जेडीयू और आंध्र प्रदेश में टीडीपी की पार्टी है। दोनों पार्टियां इस समय केंद्र की एनडीए का हिस्सा हैं। इससे पहले दोनों ही पार्टियां अपने-अपने राज्य के लिए को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे थे। हालांकि इन्हें विशेष दर्जा तो नहीं मिला लेकिन इतनी तवज्जो जरूर मिल गई कि विपक्षी दलों ने इसे निशाने पर ले लिया।