भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इस बार गणेश चतुर्थी का उत्सव शुक्रवार, 10 सितंबर को मनाया जाएगा. जिसके 10 दिन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन महोत्सव का समापन हो जाएगा. यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है. अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा को सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं.
गणेश चतुर्थी पूजन मुहूर्त
चतुर्थी तिथि गुरुवार, 9 सितंबर को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर आरंभ होकर 10 सितंबर की रात्रि 9:57 तक रहेगी. गणपति स्वयं में ही शुभ मुहूर्त है. वे सभी प्रकार के विघ्नहर्ता हैं, इसलिए गणेशोत्सव गणपति स्थापन के दिन दिनभर कभी भी कर सकते है. सकाम भाव से पूजा के लिए नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए. मुहूर्त अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना अधिक शुभ माना जाता है. मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था. मध्याह्न यानी दिन का दूसरा प्रहर जो कि सूर्योदय के लगभग 3 घंटे बाद शुरू होता है और लगभग दोपहर 12 से 12:30 तक रहता है. गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजीत मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है. पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त सुबह लगभग 11.55 से दोपहर 12.45 तक रहेगा. इस समय के बीच श्री गणेश पूजा आरंभ कर देनी चाहिए.
पूजा सामग्री
गणेश जी की पूजा करने के लिए चौकी या पाटा, जल कलश, लाल कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चन्दन, जनेऊ, गंगाजल, सिन्दूर, चांदी का वर्क, लाल फूल या माला, इत्र, मोदक या लडडू, धानी, सुपारी, लौंग, इलायची, नारियल, फल, दूर्वा, दूब, पंचमेवा, घी का दीपक, धूप, अगरबत्ती और कपूर की आवश्यकता होती है.
पूजा विधि
हाथ में पान के पत्ते पर पुष्प, चावल और सिक्का रखकर सभी भगवान को याद करें. अपना नाम, पिता का नाम, पता और गोत्र आदि बोलकर गणपति भगवान को घर पर पधारने का निवेदन करें और उनका सेवाभाव से स्वागत सत्कार करने का संकल्प लें. भगवान गणेश की पूजा करने लिए सबसे पहले सुबह नहा-धोकर शुद्ध लाल रंग के कपड़े पहनें क्योकि गणेश जी को लाल रंग प्रिय है. पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा में या उत्तर दिशा में होना चाहिए. सबसे पहले गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं. उसके बाद गंगा जल से स्नान कराएं. गणेश जी को चौकी पर लाल कपड़े पर बिठाएं. ऋद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी रखें. गणेश जी को सिन्दूर लगाकर चांदी का वर्क लगाएं. लाल चन्दन का टीका लगाएं. अक्षत (चावल) लगाएं. मौली और जनेऊ अर्पित करें. लाल रंग के पुष्प या माला आदि अर्पित करें. इत्र अर्पित करें. दूर्वा अर्पित करें. नारियल चढ़ाएं. पंचमेवा चढ़ाएं. फल अर्पित करें. मोदक और लडडू आदि का भोग लगाएं. लौंग इलायची अर्पित करें. दीपक, अगरबत्ती, धूप आदि जलाएं इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं. गणेश जी की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष व संकट नाशन गणेश आदि स्त्रोतों का पाठ करें.
यह मंत्र उच्चारित करें
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभः
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा
कपूर जलाकर आरती करें
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा. माता जाकी पार्वती पिता महादेवा.. जय गणेश जय गणेश…
एक दन्त दयावंत चार भुजाधारी. माथे सिन्दूर सोहे मूष की सवारी.. जय गणेश जय गणेश…
अंधन को आँख देत कोढ़िन को काया. बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया.. जय गणेश जय गणेश…
हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा. लडूवन का भोग लगे संत करे सेवा.. जय गणेश जय गणेश…
दीनन की लाज राखी शम्भु सुतवारी. कामना को पूरा करो जग बलिहारी.. जय गणेश जय गणेश…
गणेश महोत्सव की तिथियां
गणेश चतुर्थी व्रत- 10 सितंबर
ऋषि पंचमी-11 सितंबर
मोरछठ-चम्पा सूर्य षष्ठी- 12 सितंबर
संतान सप्तमी- 13 सितंबर
राधाष्टमी- 14 सितंबर
मूल दिनरात, श्री हरी जयंती- 15 सितंबर
सुंगध धूप दशमी, रामदेव जयंती- 16 सितंबर
पदमा डोल ग्यारस, श्री वामन जयंती- 17 सितंबर
भुवनेश्वरी जयंती- 18 सितंबर
शनिवार प्रदोष व्रत- 18 सितंबर
रविवार अनंत चतुथदर्शी- 19 सितंबर
रविवार विसर्जन- 19 सितंबर
खबर इनपुट एजेंसी से