पश्चिम एशिया का रेगिस्तानी देश कतर (Qatar) इस वक्त दुनियाभर में चर्चा में है. इसकी वजह ये है कि वहां पर रविवार से 22वें वर्ल्ड फुटबॉल कप यानी फीफा वर्ल्ड कप 2022 (Fifa World Cup 2022) का आयोजन शुरू हो चुका है. इस आयोजन में दुनियाभर के 32 देशों की टीमें हिस्सा ले रही हैं. यह टूर्नामेंट 26 दिनों तक चलेगा. इस टूर्नामेंट को देखने के लिए दुनियाभर से हजारों फुटबॉल प्रेमी इस छोटे से मुस्लिम देश में पहुंच रहे हैं.
जानें कतर का इतिहास
यह देश अरब प्रायद्वीप के उत्तर पूर्वी तट पर बसा हुआ है. इसके दक्षिणी छोर पर सऊदी अरब है और बाकी तीन ओर फारस की खाड़ी है. माना जाता है कि कतर (Qatar) नाम की उत्पत्ति आज के जुबारा नाम के शहर के प्राचीन नाम ‘कतारा’ से हुई, जो बाद में धीरे-धीरे अपभ्रंश होकर कतर हो गया. इस मुल्क का क्षेत्रफल कुल 11,571 वर्ग किलोमीटर और जनसंख्या करीब 28 लाख है. वहां की करंसी रियाल है. कतर की राजधानी का नाम दोहा है. इस देश के प्रधानमंत्री खालिद बिन खलीफा बिन अब्दुलअज़ीज़ अल थानी और राष्ट्रपति तमीम बिन हमद अल थानी हैं.
बना दुनिया का दूसरा समृद्ध देश
प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे समृद्ध देश बना कतर 70 साल पहले तक ऐसा नहीं था. वहां पर दुनिया की बहुत आबादी निवासी करती थी. इस छोटे से देश पर वर्ष 1783 में कुवैत के अल खलीफ वंश ने शासन करना शुरू किया. उसके बाद कतर पर तुर्की ने कब्जा कर लिया. जब 1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया तो उस पर ब्रिटेन ने अधिकार कर लिया. वर्ष 1971 में ब्रिटेन ने कतर को आजाद कर उसका अधिकार सऊदी अरब को सौंप दिया लेकिन इसके अगले ही साल ख़लीफ़ा बिन हमद ने कतर को आजाद घोषित कर अपना शासन शुरू कर दिया. इसी के साथ कतर का ऐसा कायापलट हुआ कि धनसंपन्नता के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गया.
खानाबदोश थे कतर के लोग
कतर के पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि वहां पर पिछली सदी तक खानाबदोश लोग रहते थे. वे लोग मछली पकड़कर या मोती बीनकर अपना गुजारा करते थे. कतर के अधिकतर लोग घुमंतू प्रजाति के थे और भोजन-पानी की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह भटकते रहते थे. वर्ष 1930 से 40 के दशक में कतर (Qatar) के लोगों के हालात उस समय खराब हो गए, जब जापान ने भी मोतियों का उत्पादन शुरू कर दिया. इससे कतर के लोगों के कामधंधे ठप हो गए और देश के लोग अपने-अपने साधनों से देश छोड़कर जाने लगे. इसके चलते कतर की आबादी 25 हजार तक सिमट कर रह गई.
तेल के खेल से बदल गई तकदीर
वर्ष 1939 में ब्रिटिश कंपनी ने कतर में तेल के कई कुओं की खोज कर उनका दोहन शुरू किया. इसके साथ ही कतर के दिन फिरने शुरू हो गए. तेल दोहन की वजह से कतर में कामधंधों में तेजी आई, जिससे बाहर गए कतरी वापस अपने देश लौटने लगे. हालात ये हो गए कि कतर की आबादी वर्ष 1950 में 25 हजार से बढ़कर 1970 में 1 लाख को पार कर गई. इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था भी 300 मिलियन डॉलर तक जा पहुंची. जब अंग्रेजों ने कतर को छोड़ा तो वह आर्थिक रूप से समृद्ध देश बन चुका था और उसे केवल उस विकास को चारों ओर फैलाना था.
दुनिया में धमक बनाने की कोशिश में कतर
दुनिया में अपनी धमक बनाने के लिए कतर (Qatar) ने अल जजीरा जैसा इंटरनेशनल चैनल शुरू किया, जो किसी भी देश के खिलाफ कतर का सबसे बड़ा सॉफ्ट वेपन बन गया. जिसने कई मुस्लिम देशों में सरकारों को बनाने और गिराने का काम किया. अपने देश में पर्याप्त आबादी न होने की वजह से कतर ने अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों को आमंत्रित कर अपने यहां पर सैनिक अड्डे बनवाए. इसके साथ ही यूरोप के कई देशों की संपत्तियों में निवेश किया, जिससे तेल खत्म होने के बाद भी उसकी अर्थव्यवस्था पर चोट न आए.
कतर ने वर्ल्ड कप पर खर्च किए 2 लाख मिलियन डॉलर
अपनी सॉफ्ट पावर को ओर बढ़ाने के लिए अब कतर (Qatar) 22वें फीफा वर्ल्ड कप (Fifa World Cup 2022) का आयोजन कर रहा है. इसके लिए उसने 2 लाख मिलियन डॉलर खर्च करके 8 स्टेडियम, एक नया हवाई अड्डा और एक नई मेट्रो लाइन बनाई है. इस फुटबॉल वर्ल्ड कप को अब तक के इतिहास का सबसे महंगा वर्ल्ड कप कहा जा रहा है. हालांकि इसके बावजूद कतर अपने उद्देश्य में कामयाब होता नजर नहीं आ रहा है.
इस्लाम का बड़ा पैरोकार बनने की कोशिश
असल में कतर (Qatar) शुरू से ही कट्टर इस्लाम का बड़ा पैरोकार रहा है. दुनिया में मस्जिद-मदरसों और जमातों को कतर के अमीरों की ओर से हर साल भारी फंडिंग की जाती है. इसके पीछे कतर का उद्देश्य दुनिया के सभी मुसलमानों का एकछत्र नेता बनना है. ISIS और अलकायदा जैसे कई कट्टर आतंकी संगठनों के साथ कतर के लिंक की खबरें भी जब-तब बाहर आती रही हैं.
कतर ने वर्ल्ड कप में जाकिर नाइक को बुलाया
इस बार भी कतर (Qatar) ने कट्टर इस्लामिक उपदेशक और भारत में भगोड़ा घोषित जाकिर नाइक को फीफा वर्ल्ड कप (Fifa World Cup 2022) में आमंत्रित कर एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है. उसकी इस कट्टरपंथी छवि को देखते हुए दुनिया के अधिकतर देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने फीफा वर्ल्ड कप देखने के लिए कतर जाने से किनारा कर लिया है, जिससे कतर के नेताओं को गहरा झटका लगा है. सवाल है कि क्या कतर के नेता इन सब चीजों से कोई सीख लेंगे या कट्टरपन की पुरानी लाइन पर ही चलते रहेंगे.