देहरादून l उत्तराखंड में सियासी हलचल अचानक तब बढ़ गई जब बीजेपी ने केंद्र से दो पर्यवेक्षकों को उत्तराखंड भेजा। उत्तराखंड बीजेपी में काफी वक्त से सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर नाराजगी की चर्चा हो रही है। अब केंद्र से भेजे गए पर्यवेक्षक उत्तराखंड में स्थिति का जायजा ले रहे हैं और वह अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंपेंगे। सूत्रों के मुताबिक उसके बाद फैसला लिया जा सकता है कि उत्तराखंड में चुनाव से पहले क्या कोई बड़ा बदलाव होगा या नहीं।
विधायकों ने की थी राष्ट्रीय अध्यक्ष से शिकायत
उत्तराखंड में बीजेपी के कई विधायकों ने कुछ महीने पहले दिल्ली आकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। उन्होंने यह डर भी जाहिर किया कि अगर मौजूदा स्थिति में चुनाव हुए तो बीजेपी की मुश्किल बढ़ सकती है। कई विधायक खुलकर अफसरों की शिकायत भी कर चुके हैं कि अफसर काम नहीं कर रहे और चुनाव में वह जनता के सामने कैसे जाएंगे।
बीजेपी की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड बीजेपी के कई लोग केंद्रीय नेतृत्व के सामने यह साफ कह चुके हैं कि बिना बदलाव किए चुनाव में बीजेपी की मुश्किल बढ़ सकती है जिसका फायदा कांग्रेस उठा सकती है। बीजेपी के एक पदाधिकारी ने नाम न लिखने की शर्त पर कहा कि अगर मौजूदा सीएम के नेतृत्व में चुनाव में उतरते हैं तो मुश्किल हो सकती है।
अगले साल होने है चुनाव
पीएम अगर रैली करेंगे तो क्या उससे फर्क नहीं पड़ेगा, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि “मुझे डर है कि यहां भी राजस्थान जैसा नारा न दोहराया जाए, कि मोदी तुझसे बैर नहीं लेकिन…. “। उत्तराखंड में अगले साल की शुरूआत में चुनाव हैं और इस बार दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने भी उत्तराखंड में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। बीजेपी सरकार को एंटी इनकंबेंसी का सामना तो करना पड़ेगा ही साथ ही बीजेपी के अंदर चल रही खींचतान भी बीजेपी की चुनौती बढ़ा सकती है।