देहरादून। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि विश्वविद्यालयों में राज्य के विकास और आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार लाने वाले शोध पर मिशन की तरह काम करना होगा। वन डिस्ट्रिक्ट- वन डेस्टिनेशन की तर्ज पर राज्य के विवि में वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च योजना को लागू किया जा रहा है। राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इसकी तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। जल्द ही राजभवन में कुलपतियों की उच्च स्तरीय बैठक में इस योजना का खाका तैयार कर दिया जाएगा। राज्य में युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने लिए सतत अभियान चलाया जाएगा।
राज्यपाल ने गुरुवार को मीडिया कर्मियों के साथ अनौपचारिक बातचीत में अपने भावी एजेंडे को साझा किया। राज्यपाल के रूप में शुक्रवार को जनरल सिंह का दो साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय भी राज्य, सामाजिक और आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च योजना का विचार सामने आया है। इसके तहत हर विश्वविद्यालय को एक-एक विशिष्ट क्षेत्र शोध के लिए दिया जाएगा। शोध का विषय सूचना प्रौद्योगिकी, बागवानी, कृषि, औद्योगीकरण, जल संरक्षण, आपदा प्रबंधन आदि हो सकते हैं। शोध इस प्रकार किया जाएगा जिससे वो एक दस्तावेज बन सके और उस पर अमल करने पर जमीन पर असर भी नजर आए। राज्यपाल ने कहा कि राज्य में इस वक्त नशा एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। यह चिंता का विषय है। किशोरों और युवाओं को इसके दुष्प्रभाव से दूर करने के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है। हाल में प्रजापिता ब्रह्मकुमार ईश्वरीय विश्वविद्यालय के साथ भी राज्य सरकार ने एमओयू किया है। देशभूमि को नशामुक्त करने के लिए सतत अभियान जारी रहेगा। राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत देवभाषा है। इसके संरक्षण और विकास के लिए गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है। संस्कृत शिक्षा को भी उच्च शिक्षा विभाग के साथ जोड़ने की संभावना भी तलाशी जा रही है।
पांच क्षेत्रों पर करें फोकस
राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विकास के लिए पांच क्षेत्र महत्वपूर्ण है। पहला रिवर्स पलायन, दूसरा महिला सशक्तिकरण, तीसरा बालिका शिक्षा, चौथा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) व तकनीकि और पांचवा जैविक और प्राकृतिक कृ़षि। ये पांचों क्षेत्र उत्तराखंड के विकास में गेमचेंजर साबित हो सकते हैं।