नई दिल्ली: बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन के साइड इफेक्ट्स दिखने लगे हैं. वहां नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुवाई में एनडीए की ताजपोशी के बाद कांग्रेस (Congress) को 2024 की राह मुश्किल दिखाई देने लगी है. इसके संकेत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान में दिखे. जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर पीएम मोदी को निशाना बनाया तो वहीं सीएए और यूसीसी जैसे मुद्दे भी 2024 के महामुकाबले से पहले विपक्ष की टेंशन बढ़ा रहे हैं. आइए समझते हैं कि ऐसा आखिर क्यों हो रहा है?
क्यों मुश्किल में पड़ा I.N.D.I.A.
नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद इंडिया गठबंधन मुश्किल दौर में है तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, यूपी में अखिलेश यादव और पंजाब को लेकर आम आदमी पार्टी के रुख से विपक्षी गठजोड़ का वजूद ही खतरे में है. विपक्षी दलों में सीट बंटवारे पर तनातनी, राज्यों में उनके बीच मनमुटाव समस्या के समाधान में रुकावटें खड़ी कर रहा है.
खरगे के बयान में दिखी झलक
लेकिन सभी दलों को साथ ला पाने में मिल रही नाकामी से ज्यादा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को मोदी का भय सता रहा है. ओडिशा की एक सभा में मोदी सरकार की आलोचना करते करते खरगे लोकतंत्र बचाने की दुहाई देने लगे. खरगे ने कहा कि ये आखिरी चुनाव है. मोदी अगर फिर से आए, तो चुनाव नहीं होंगे और देश में तानाशाही आ जाएगी. तुम मानो या ना मानो.
मोदी पर निशाना साधते-साधते पुतिन तक पहुंचे
खरगे इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए पुतिन और रूसी राष्ट्रपति के चुनाव का जिक्र भी किया. खरगे ने कहा कि ये आखिरी मौका है वोट देने का. इसके बाद कोई वोट नहीं देगा. रूस में पुतिन को जो प्रेसिडेंट इलेक्शन होता है न, वैसा ही होता चला जाएगा. इसके बाद कोई चुनाव नहीं.
CAA ने बढ़ाई विपक्ष की टेंशन
बता दें कि खरगे का बयान ऐसे समय में आया है जब देश कि सियासत बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश में हिंदुत्व की लहर चल रही है तो बीजेपी ने सीएए का जिक्र कर कड़ाके की सर्दी में सियासी पारा चढ़ा दिया है. केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा कि 7 दिन में देश में लागू CAA होगा. मैं इसकी गारंटी देता हूं.
CAA सुनते ही भड़क गईं ममता
बंगाल में बीजेपी के इस ऐलान ने ममता दीदी का गुस्सा भड़का दिया. उन्होंने इसे चुनावी हथकंडा बताया. ममता बनर्जी ने कहा कि ये बीजेपी का चुनावी हथकंडा है. हमने जरूरतमंदों को नागरिकता दी. समाजवादी पार्टी तो इससे दो कदम आगे निकल गई. आरोप लगाया कि सीएए के जरिए बीजेपी एनआरसी की भूमिका बना रही है. एसपी सांसद एसटी हसन तो इस मुद्दे पर सीधी सीधे चेतावनी भी दी. एसटी हसन ने कहा कि CAA के बाद ये NRC लाएंगे. जो हमें कुबूल नहीं. हमारे ईमान पर आंच आई तो किसी भी हद तक जाएंगे.
कब आएगी समान नागरिक संहिता?
राम मंदिर और सीएए से सहमे विपक्ष पर समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का सर्जिकल स्ट्राइक भी हुआ. उत्तराखंड की धामी सरकार ने इस पर बड़े फैसले के संकेत दिए. धामी ने कहा कि यूसीसी का मसौदा तैयार करने वाली एक्सपर्ट कमेटी 2 फरवरी को रिपोर्ट सौंपेगी. जिसके बाद उसे जल्द लागू करने की प्रकिया शुरू होगी.
सीएम धामी ने कर दिया ऐलान
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कमेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है और उन्होंने हमें बताया है कि 2 तारीख को वे हमें ड्राफ्ट दे देंगे और उनके ड्राफ्ट देने के बाद हम उसका आकलन करेंगे. इसको मंत्रिमंडल में लाया जाएगा और उसके बाद राज्य विधानसभा में यूनिफार्म सिविल कोड एक्ट बनाने की कार्यवाही की जाएगी.
वहीं, कांग्रेस नेता हरीश रावत ने धामी सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाया है. उन्होंने इसे फिजूलखर्ची करार दिया. हरीश रावत ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर विधानसभा का सत्र बुलाकर उसे पारित करवाना ये राज्य सरकार की फिजूल खर्च का बड़ा उदाहरण है. समान नागरिक संहिता का मतलब ही है जो सारे देश में लागू हो और ये काम केवल केंद्र सरकार के जरिए हो सकता है.
सियासी पंडितों के मुताबिक, राम मंदिर के लहर पर सवार बीजेपी, अपनी आक्रामक और ठोस रणनीति से विपक्ष की हर धार को कुंद करना चाहती है. ताकि सिर्फ कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में न सिर्फ बड़ी जीत हासिल की जा सके, बल्कि 2029 के लिए भी अभी से ही मजबूत सियासी जमीन रहे. अनुच्छेद 370, अयोध्या में राम मंदिर जैसे अपने कोर मुद्दों को अमलीजामा पहना चुकी बीजेपी ने अब जिस तरह यूसीसी और सीएए के मुद्दे को गरमाना शुरू किया है. उससे ये तय है कि वो कांग्रेस और विपक्षी दलों को संभलने का कोई मौका नहीं देगी.