नई दिल्ली: जापानी संगठन निहोन हिडानक्यो ने नोबेल शांति पुरस्कार 2024 जीता. यह संगठन हिरोशिमा और नागासाकी (जिसे हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है) पर हुए परमाणु हमले में बचे लोगों की देखभाल सुनिश्चित करता है. जापान की यह संगठन इस बात को ध्यान में रखते हुए काम कर रही है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल दोबारा कभी नहीं किया जाना चाहिए.
नोबेल समिति ने की जापानी संगठन की तरीफ
जापानी संगठन निहोन हिडानक्यो का गठन साल 1956 हुआ, जिसका मिशन परमाणु हथियारों से होने वाले नुकसान को लेकर दुनिया भर में जगरूकता फैलाना है. नोबेल समिति ने परमाणु हथियारों के खिलाफ आवाज उठाने को लेकर निहोन हिडानक्यो की तारीफ की.
अगले साल हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए जाने के 80 साल पूरे हो जाएंगे, जिसमें लगभग 1 लाख 20 हजार लोगों की तुरंत मृत्यु हो गई थी. उसके बाद के कुछ सालों हजारों लोग चोटों और रेडिएशन के संपर्क में आने के कारण दम तोड़ गए थे. नोबेल समिति ने कहा, “इस साल नोबेल शांति पुरस्कार निहोन हिडांक्यो को प्रदान करते हुए हम उन सभी जीवित बचे लोगों को सम्मानित करना चाहते हैं, जिन्होंने दर्दनाक यादों के बावजूद शांति का विकल्प चुना.”
286 उम्मीदवारों के मिले थे आवेदन
नॉर्वेजियन नोबेल समिति को शांति पुरस्कार के लिए इस साल कुल 286 उम्मीदवारों के आवेदन मिले थे, जिसमें से 89 संगठन हैं. साल 2023 में ईरान के पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था. उनका संगठन डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर ईरान में प्रतिबंधित है.
मिडिल ईस्ट में जारी जंग और यूक्रेन-रूस के युद्ध के बीच नोबेल शांति पुरस्कार विजेता का ऐलान किया गया है. अमेरिका के लिनस पॉलिंग दुनिया के एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें दो-दो नोबेल पुरस्कार मिले हैं. एक नोबेल प्राइज उन्हें केमिस्ट्री में मिला था तो दूसरा शांति के लिए मिला था.