बिलासपुर l राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि विश्व गुरु भारत के निर्माण के लिए हम सभी को मिलकर साथ चलना होगा. हम सभी को अपने पूर्वजों के उपदेशों को याद रखना है. हमारे पूर्वजों के पुण्य का स्मरण करा देने वाले इस क्षेत्र में संकल्प लेना है कि संपूर्ण विश्व को शांति सुख देने वाला विश्वगुरु भारत गढ़ने के लिए हम सुर में सुर मिलाकर एक ताल में कदम से कदम मिलाकर सौहार्द और समन्वय के साथ आगे बढ़ेंगे.
सत्य की ही जीत होती है- मोहन भागवत
मोहन भागवत ने शुक्रवार को मुंगेली जिले के मदकू द्वीप में घोष शिविर के समापन समारोह में कहा, ‘सत्यमेव जयते नानृतम्. सत्य की ही जीत होती है, असत्य की नहीं. झूठ कितनी भी कोशिश कर लेकिन झूठ कभी विजयी नहीं होता है.’
बता दें कि मुंगेली जिले से होकर बहने वाली शिवनाथ नदी में स्थित मदकू द्वीप में 16 नवंबर से 19 नवंबर तक घोष शिविर का आयोजन किया गया था. शुक्रवार को इसके समापन के मौके पर घोष प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें आरएसएस प्रमुख ने हिस्सा लिया था.
भारत में विविधता में एकता- मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा, ‘यहां विविधता में एकता है और एकता में विविधता है. भारत ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा. पूर्व में हमारे पूर्वज यहां से पूरी दुनिया में गए और उन्होंने वहां के देशों को अपना धर्म (सत्य) दिया. लेकिन हमने कभी किसी को बदला नहीं, जो जिसके पास था उसे उसके पास ही रहने दिया. हमने उन्हें ज्ञान दिया, विज्ञान दिया, गणित और आयुर्वेद दिया और उन्हें सभ्यता सिखाई. इसलिए हमारे साथ लड़ने वाले चीन के लोग भी ये कहते हुए नहीं सकुचाते कि भारत ने 2000 साल पहले ही चीन पर अपनी संस्कृति का प्रभाव जमाया था क्योंकि उस प्रभाव की याद ही सुखद है दुखद नहीं है.’
दुर्बल को पीटती है दुनिया- मोहन भागवत
उन्होंने कहा कि दुनिया उसी को पीटती है जो दुर्बल है. स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि दुर्बलता ही पाप है. बलशाली का मतलब है संगठित होना. अकेला व्यक्ति बलशाली नहीं हो सकता है. कलयुग में संगठन ही शक्ति मानी जाती है. हम सभी को साथ लेकर चलेंगे, हमें किसी को बदलने की जरूरत नहीं है.
खबर इनपुट एजेंसी से