देहरादून। प्रख्यात पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ० अनिल जोशी को इस वर्ष उत्तराखण्ड शौर्य सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। शौर्य सम्मान समिति के डा. अरविन्द दरमोड़ा एवं प्रो० मोहन सिंह पंवार ने कहा कि जीईपी की अवधारणा और इसके सूचकांक का फॉर्मूला तैयार करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही ख्याति प्राप्त पर्यावरण विद् पद्मभूषण डॉ० अनिल प्रकाश जोशी की।
जीईपी को लेकर 2012 में पद्मभूषण जोशी के नेतृत्व में न्यूजलपाइगुडी पश्चिम बंगाल से देहरादून तक 7 राज्यों में 45 दिनों की यात्रा की गई थी। उनके प्रयासों को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने स्वीकारा और जीईपी लागू करने का निर्णय लिया।
मध्य हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड अव जीईपी (ग्रास एन्वायरमेंट प्रोडेक्ट) पर्यावरण सूचकांक लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। उत्तराखण्ड ने पर्यावरण की चिन्ता करते हुए इसके चार प्रमुख घटकों हवा, मिट्टी, पानी व जंगल को समाहित कर जीईपी सूचकांक जारी किया है।
इससे पता चलेगा कि हवा, पानी, मिट्टी व जंगल के संरक्षण के लिए हमने क्या-क्या किया। मतलब जीईपी एक तरह से प्रकृति के स्वास्थ्य का संकेतक है। विकास से साथ-साथ बहेतर पर्यावरण एवं इकोलॉजी व इकोनॉमी के बीच समन्वय के साथ भविष्य की चुनौतियों को समझते हुए विकास यात्रा में आपकी उत्कृष्ट सेवाओं को मान्यता देते हुए उत्तराखण्ड शौर्य सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। गढ़भोज एवं बीज बम अभियान के संयोजक द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने डॉ. अनिल जोशी को उत्तराखण्ड शौर्य सम्मान दिये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।