नई दिल्ली। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, DRDO ने रविवार (17 नवंबर, 2024) को भारत की पहली हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. भारत की सैन्य क्षमताओं में यह एक बड़ा कदम है. इसके साथ ही भारत अमेरिका, चीन और रूस समेत उन देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल है. भारत की इस उपलब्धि से पाकिस्तान में खलबली मच गई है. उसके पास ऐसी कोई मिसाइल होने की आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं है और भविष्य में बनाने की भी कोई संभावना नहीं है क्योंकि उस पर अमेरिका ने सेंक्शंस लगाए हैं.
पाक एक्सपर्ट कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तान लंबी रेंज की मिसाइल नहीं बना सकता है क्योंकि उस पर सेक्शंस लगे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अगर लॉन्ग रेंज मिसाइल की तलाश में निकलेगा तो उस पर सेंक्शंस लगे हैं. वहीं, भारत लॉन्ग रेंज की मिसाइल बना रहा है तो कोई मसला नहीं है. अमेरिका ने पाकिस्तान और उसके डिफेंस प्रोग्राम में शामिल चीनी और बेलारूस की कंपनियों पर भी सेंक्शंस लगाए हैं. ये पाकिस्तान के प्रोग्राम के लिए इक्विपमेंट भेजती थीं.
क्यों अमेरिका ने लगाए हैं पाकिस्तान पर प्रतिबंध
कमर चीमा ने कहा कि अगर कोई ऑस्ट्रेलियन ग्रुप, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम, न्यूक्लियर सरप्राइज ग्रुप का हिस्सा बनना चाहता है तो उसको पॉलिटिकली सही होना जरूरी है. यानी कि उसका अमेरिका जैसी बड़ी ताकतों के साथ अलाइनमेंट होनी चाहिए. इस वजह से भारत लॉन्ग रेंज मिसाइल सबना सकते हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अगर कहे कि उसको बनानी है तो नहीं बना सकता. पाकिस्तान के हवाले से अमेरिका को ये खतरा है कि अरब वर्ल्ड कभी भी पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम को इस्तेमाल कर सकता है. ये वेस्ट के अंदर खतरा है.
उन्होंने भारत और पाकिस्तान की मिसाइलों भारत के डिफेंस प्रोग्राम में काफी ज्यादा हथियार हैं. उनके पास क्रूज मिसाइल हैं, बैलिस्टिक मिसाइल हैं, टेक्टिकल मिसाइल, सरफेस टू एयर मिसाइल, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, एंटी शिप मिसाइल्स, एंटी सैटेलाइट मिसाइल हैं. हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी उन्होंने डेवलप कर ली हैं और पाकिस्तान के पास ऐसा कुछ भी नहीं है. पाकिस्तान के पास हाइपरसोनिक टेकनोलॉजी या हाइपरसोनकि मिसाइल होने की कोई जानकारी नहीं मिलती है.
पाकिस्तान के पास कौन-कौन सी मिसाइल हैं?
कमर चीमा ने कहा कि पाकिस्तान के पास जो सबसे लंबी रेंज की मिसाइल है, उसकी रेंज 2,750 किलोमीटर या 1700 मील है. यह कन्वेंशनल न्यूक्लियर वॉरहेड लेकर 2,750 किलोमीटर तक जा सकता है. भारत की तरफ देखें तो उसके पास इंटरकोंटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी रेंज 5000 किलोमीटर है. पाकिस्तान के पास अभी तक ऐसा कोई हथियार नहीं है. भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजिम (MTCR) का मेंबर बन चुका है.
पाकिस्तान क्यों नहीं बना सकता हाइपरसोनिक मिसाइल?
कमर चीमा ने कहा कि भारत के पास प्रहार टेक्टिकल मिसाइल है, जिसकी रेंज 150 किमी है. उनके पास एक हाइपरसोनिक सरफेस टू टेक्टिकल मिसाइल है, जिसका नाम शौर्य मिसाइल है. वह भी 700 किमी रेंज का है. वहीं, पाकिस्तान के पास बड़ी छोटी सी मिसाइलें हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने 2016 में एंटी सैटेलाइट मिसाइल भी बनाई थी, जिससे वह उन सैटेलाइट्स को हिट कर सकता है, जो पृथ्वी के लॉअर ऑर्बिट में काम कर रही हैं. पाकिस्तान ये चीजें नहीं कर सकते.
राजनाथ सिंह कह सकते हैं कि हमने हाइपरसोनिक मिसाइल बनाई है. पाकिस्तान ने अगर बनाई भी है या बनाना चाहता है तो वो नहीं बना सकता क्योंकि उस पर सेंक्शंस हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नहीं बताना चाहता कि हम क्या कर रहे हैं. दूसरा ये कि अगर हमने बता दिया तो सेंक्शंस लग जाएंगे. अगर हमारे पास सुपरसोनिक मिसाइल हैं और अगर इसका टेस्ट कर लिया तो दूसरे देश हमारे खिलाफ प्लानिंग करना शुरू कर देंगे.
हाइपरसोनिक मिसाइल की खासियत
- हाइपरसोनिक मिसाइल की स्पीड ध्वनि की गति (Mach-5) से पांच गुना ज्यादा होती है
- यह जमीन पर मील पर सेकेंड के हिसाब से चलती है.
- हाइपरसोनिक मिसाइल अपनी ट्रेजेक्टरी को फॉलो करते हुए ऑटोमेटिकली हिट करती है.
- अलग-अलग तरह के हाइपरसोनिक सिस्टम्स होते हैं. एक हाइपरसोनिक ग्लिड व्हीकल है और एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है.
- हाइपरसोनिक ग्लिड व्हीकल रॉकेट से लॉन्च किए जाते हैं और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल एयर ब्रीदिंग हाईस्पीड इंजन से पावर किए जाते हैं.
- हाइपरसोनिक वेपन रिस्पोंसिव हैं, लॉन्ग रेंज इनके स्ट्राइक ऑप्शंस होते हैं.
- बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में हाइपरसोनिक मिसाइल लॉ एल्टीट्यूड पर उड़ती हैं और कभी-कभी इन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.