इस्लामाबादः पाकिस्तान में तथाकथित जासूसी के आरोपों में मौत की सजा पाए भारत के पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने पलटी मार दी है। पाकिस्तान सरकार ने बुधवार को अपने देश के सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाए कुलभूषण जाधव को अपनी सजा के खिलाफ अपील करने का अधिकार अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के 2019 के फैसले के कारण नहीं दिया गया है, बल्कि उसे केवल भारत के काउंसलर का एक्सेस का आदेश दिया गया था।
पाकिस्तान ने कहा कि कुलभूषण को अपनी सजा के खिलाफ अपील को कोई अधिकार नहीं है। यह दलील पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में वहां की सरकार ने तब दिया, जिसमें एक सुनवाई के दौरान कहा गया था कि मौत की सजा पाए कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार दिया गया, लेकिन 9 मई 2023 की हिंसा मामले में कथित संलिप्तता के दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी नागरिकों को इस फैसले के खिलाफ अपील के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
पाकिस्तान ने क्या कहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया कि हेग स्थित आईसीजे के फैसले में जाधव तक केवल भारत के काउंसलर एक्सेस के अधिकार के मुद्दे को संबोधित किया गया है। उसे अपील का अधिकार नहीं दिया गया है।
क्या था मामला
बता दें कि कुलभूषण जाधव को कथित तौर पर मार्च 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि वह भारत की बाहरी जासूसी एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के लिए काम करने वाला एक ऑपरेटिव था और उनके देश में आतंकवादी कृत्यों में शामिल था। इस आरोप में पाकिस्तान ने अगले वर्ष कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाई। वहीं भारत ने कुलभूषण जाधव के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वह एक पूर्व नौसेना अधिकारी थे, जिन्हें पाकिस्तानी गुर्गों ने ईरान के चाबहार बंदरगाह से अगवा किया था, जहाँ वह अपना व्यवसाय चला रहे थे। नई दिल्ली ने पाकिस्तान की अदालतों द्वारा उनके खिलाफ चलाए गए मुकदमे को भी “हास्यास्पद” बताकर खारिज कर दिया। जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय अदालत ने 2018 में जाधव की फांसी पर रोक लगा दी।
आईसीजे ने फैसले में क्या कहा
कुलभूषण जाधव की फांसी पर आईसीजे ने रोक लगाते हुए कहा कि “पाकिस्तान का यह दायित्व है कि वह अपने विवेक से जाधव की सजा और दोषसिद्धि की प्रभावी समीक्षा करे और उस पर पुनर्विचार करे” क्योंकि वियना कन्वेंशन ऑन काउंसलर रिलेशंस के तहत जाधव के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। आदेश में यह भी कहा गया कि जाधव की फांसी तब तक स्थगित रखी जानी चाहिए जब तक कि उन्हें अपनी सजा के खिलाफ अपील करने के लिए प्रभावी साधन उपलब्ध नहीं करा दिए जाते।