नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारत का लगातार एक्शन जारी है. पाकिस्तान को दंडित करने के लिए सिंधु जल संधि को स्थगित करने के कुछ दिनों बाद भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बांध के माध्यम से पानी के प्रवाह को कम कर दिया है और झेलम नदी पर किशनगंगा बांध पर भी इसी तरह के उपायों की योजना बना रहा है.
इस मामले से परिचित सूत्र ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि ये जलविद्युत बांध जम्मू के रामबन में बगलिहार और उत्तरी कश्मीर में किशनगंगा भारत को पानी छोड़ने के समय को विनियमित करने की क्षमता प्रदान करते हैं.
बगलिहार बांध को लेकर पाकिस्तान ने अतीत में विश्व बैंक से मध्यस्थता की मांग की है. झेलम की सहायक नदी नीलम नदी पर इसके प्रभाव के संबंध में किशनगंगा बांध को कानूनी और कूटनीतिक जांच का सामना करना पड़ा है. भारत से पाकिस्तान में बहने वाली ये नदियां देश की जीवन रेखाएं मानी जाती हैं क्योंकि यह सिंचाई और पीने योग्य पानी की आपूर्ति के लिए इन पर निर्भर है.
पहलगाम हमले के बाद भारत ने उठाए सख्त कदम
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए कूटनीतिक, आर्थिक और जल संसाधन संबंधी कई निर्णय लागू किए हैं.
भारत सरकार ने प्रतिक्रिया स्वरूप सिंधु जल संधि को स्थगित करने की घोषणा की है और पाकिस्तान में बहने वाली नदियों खासकर चिनाब और झेलम के प्रवाह को नियंत्रित करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. अधिकारियों के अनुसार, बगलिहार बांध (चिनाब नदी पर) से पानी की आपूर्ति में कटौती शुरू कर दी गई है, जबकि किशनगंगा बांध (झेलम की सहायक नीलम नदी पर) पर भी इसी प्रकार के उपायों की योजना बनाई जा रही है.
भारत के इन कदमों से पाकिस्तान में चिंता की लहर दौड़ गई है. पाकिस्तान ने भारत के जल निर्णयों को युद्ध जैसी कार्रवाई करार दिया है. पूर्व पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सिंधु का पानी रोका गया, तो “सिंधु में पानी नहीं, खून बहेगा.”
भारत के एक्शन से बिलबिला रहा है पाकिस्तान
भारत ने इससे पहले पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंधों में कटौती की थी, साथ ही भारतीय बंदरगाहों से पाकिस्तानी जहाजों के प्रवेश पर रोक और आयात पर प्रतिबंध भी लागू किया गया है.
इस बीच नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर भी तनाव बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान की ओर से लगातार दस रातों से संघर्षविराम का उल्लंघन किया जा रहा है, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह एक बयान में कहा था कि भारत इस हमले के दोषियों को किसी भी कीमत पर न्याय के कटघरे में लाकर रहेगा.
जल संसाधन बने भारत के कूटनीतिक हथियार
भारत द्वारा जल संसाधनों को कूटनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किए जाने को रणनीतिक परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है. सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी नदियां पाकिस्तान के लिए सिंचाई और पेयजल का प्रमुख स्रोत हैं, और इन पर भारत की नियंत्रण क्षमता को लेकर इस्लामाबाद में भारी बेचैनी है.
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. यह अब तक दक्षिण एशिया में जल संबंधी विवादों से बचने का प्रमुख साधन रही है.